लोक निर्माण विभाग और सिंचाई विभाग की ज्योर्तिमठ में सुरक्षात्मक कार्यों के लिए 700 करोड़ की डीपीआर तैयार हो गई है। पेयजल निर्माण विभाग भी ड्रेनेज सिस्टम आदि के लिए डीपीआर को तैयार करने का काम कर रहा है, इसके भी जल्द तैयार होने की उम्मीद है। अब शासन तैयार डीपीआर को तकनीकी आकलन समिति को भेजने जा रहा है।
ज्योर्तिमठ में भूधंसाव समेत समस्या आयी थी। इसके बाद कई विभागों को सुरक्षात्मक कार्याें के लिए अलग- अलग जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके लिए सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग, पेयजल विभाग से लेकर अन्य विभाग काम कर रहे हैं। अब विभागों की डीपीआर तैयार होकर शासन में पहुंच रही है। इसमें लोक निर्माण विभाग ने करीब 600 करोड़ की डीपीआर को तैयार कर भेजा है।
आठ क्रिटिकल साइड पर काम शुरू करना प्राथमिकता
लोक निर्माण विभाग को मुख्य रूप भूधंसाव की दृष्टि से स्लोप स्टेबलाइजेशन का काम करेगा। इसके लिए लोनिवि ने आईआईटी रुड़की के सहयोग से योजना को तैयार किया है। इसके लिए प्रभावित क्षेत्र में 12 साइट का चयन किया गया है। इसमें आठ साइट बेहद क्रिटिकल है, जहां पर प्राथमिकता से काम होना है। लोनिवि अधिकारियों के अनुसार स्लोप स्टेबलाइजेशन के तहत भूमि के अंदर से उसकी भार सहने की क्षमता को भी बढ़ाने का काम होगा, जिससे भार पड़ने पर धंसाव न हो। वहीं, सिंचाई विभाग ने भी करीब सौ करोड़ की योजना को तैयार किया है। सिंचाई विभाग अलकनंदा नदी में कटाव को रोकने के लिए काम करेगा।
कार्याें के लिए 1658 करोड़ का बजट
ज्योर्तिमठ में सुरक्षात्मक कार्याें के लिए 1658 करोड़ का बजट रखा गया है। इसमें केंद्र सरकार से 1079 करोड़, 451.80 करोड़ राज्य सरका और 126.41 करोड़ एसडीआरएफ फंड का है।
लोनिवि और सिंचाई विभाग की डीपीआर मिल गई है, जिसे टीएसी के लिए भेजा जा रहा है। पेयजल निर्माण विभाग ड्रेनेज समेत अन्य कार्याें के लिए डीपीआर को तैयार कर रहा है, इसके भी जल्द तैयार होने की उम्मीद है। जो डीपीआर प्राप्त हुई है, उसे टीएसी के लिए भेजा जा रहा है। -विनोद कुमार सुमन, सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास