रावत के मुताबिक, उत्तराखंड अधिप्राप्ति नियमावली में संशोधन की सिफारिशों को प्रदेश मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। उपसमिति की सोमवार को दूसरी बैठक थी। इस बैठक में उपसमिति के सदस्य कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल व बिशन सिंह चुफाल के अलावा मुख्य सचिव ओम प्रकाश, सचिव वित्त व इंजीनियरिंग विभागों के प्रमुख उपस्थित थे।
किस श्रेणी के लिए कितनी राशि तक का काम
ए श्रेणी: इस श्रेणी में दो करोड़ तक के काम की सीमा है, जिसे बढ़ाकर तीन करोड़ तक करने की सिफारिश की गई।
बी श्रेणी: इस श्रेणी में दो करोड़ तक की सीमा है, जिसे बढ़ाकर तीन करोड़ की सिफारिश की गई।
सी श्रेणी: एक करोड़ तक के काम की सीमा है, जिसे बढ़ाकर डेढ़ करोड़ होना है।
डी श्रेणी: 50 लाख तक के काम की सीमा है, जिसे बढ़ाकर 75 लाख तक करने की तैयारी है।
ई श्रेणी: यह नई श्रेणी है, जिसमें 25 लाख तक काम दिए जा सकते हैं।
15 लाख तक के काम वर्क ऑर्डर पर
50 लाख तक के बगैर ई टेंडरिंग
प्रदेश में 25 लाख और उससे ऊपर के कार्य ई टेंडरिंग से होते हैं। उपसमिति ने 25 लाख की सीमा को 50 लाख रुपये तक बढ़ाने की सिफारिश की है। यानी 50 लाख तक के कार्य बिना ई टेंडरिंग के देने की तैयारी है। इससे स्थानीय ठेकेदारों को फायदा होगा
टुकड़ों में बांटे जा सकेंगे बड़े काम
उपसमिति ने बड़े निर्माण कार्यों के टुकड़े कर एक से अधिक ठेकेदारों को देने की सिफारिश की। लेकिन इसमें काम की गुणवत्ता व तकनीकी पहलुओं का ध्यान भी रखा जाएगा। लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे।
नियमावली में रहेगी एकरूपता
उपसमिति ने सभी इंजीनियरिंग विभागों के नियमों एकरूपता लाने की सिफारिश की गई है।
कोविड महामारी से बने हालात में पूरे देश से हमारे लोग नौकरी व कारोबार छोड़कर उत्तराखंड आए हैं। राज्य में भी काफी बेरोजगार हैं। युवाओं को रोजगार के लिए ई श्रेणी बनाने की सिफारिश की गई है।
– डॉ. हरक सिंह रावत, अध्यक्ष, मंत्रिमंडलीय उपसमिति