पटवारी पेपर लीक की पोल डॉक्टर के जरिए खुली थी। एसटीएफ ने सबसे पहले संजीव नाम के इस डॉक्टर को शक के आधार पर पकड़ा तो शुरुआती पूछताछ में ही उसने सारे राज उगल दिए। इसके बाद एसटीएफ राजपाल और फिर सरगना संजीव चतुर्वेदी तक पहुंच गई। अब एसआईटी ने सभी अभ्यर्थियों के नाम-पते की भी तस्दीक कर ली है।
दरअसल, आठ जनवरी को पटवारी लेखपाल भर्ती परीक्षा होने के बाद पेपर लीक की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। सूत्रों के मुताबिक दो दिन बाद एसटीएफ को पुख्ता जानकारी मिली कि ज्वालापुर के किसी डॉक्टर के मार्फत आयोग से ही पेपर लीक किया गया है। शुरुआत में एसटीएफ के पास केवल इतनी ही जानकारी थी कि एक डॉक्टर है जो डायलिसिस करता है। एसटीएफ तस्दीक करते हुए ज्वालापुर के एक अस्पताल पहुंची।
यहां पता चला कि संजीव नाम का एमएससी पास एक युवक है, जिसे डॉक्टर कहते हैं। वह यहां पर डायलिसिस करता है। उसका ज्वालापुर के पास रुड़की हाईवे पर एक कॉलोनी में फ्लैट है। एसटीएफ ने इस फ्लैट से संजीव को धर दबोचा। पूछताछ में पता चला कि उससे राजपाल नाम के मास्टर (एक कॉलेज में पढ़ाने वाला शिक्षक) ने संपर्क किया था। मास्टर और डॉक्टर की इस जोड़ी ने ही पूरे खेल को रचा था।
पूछताछ में इन्होंने आयोग के अतिगोपन अनुभाग में तैनात संजीव चतुर्वेदी का नाम बताया। इसके बाद एसटीएफ ने संजीव चतुर्वेदी को भी दबोच लिया। इसके बाद सारे राज खुलते चले गए और एसटीएफ ने गत बृहस्पतिवार शाम को उसकी पत्नी को भी गिरफ्तार कर लिया। अब एसआईटी ने 36 अभ्यर्थियों तक पहुंचने का दावा किया है।
इस मामले में पकड़े गए अब तक सभी आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में भी कार्रवाई हो चुकी है। एसआईटी सभी आरोपियों की संपत्तियों की जानकारी जुटा रही है। जल्द ही इनकी अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि इससे पहले यूकेएसएसएससी पेपर लीक में पकड़े गए आरोपियों में से तीन की संपत्तियां जब्त करने की कार्रवाई चल रही है।