देहरादून। भाजपा में अभी 11 विधानसभा सीटें फंसी हैं, जिन पर नाम फाइनल नहीं हो पाए हैं। इनमें डोईवाला और कोटद्वार विधानसभा सीटें प्रमुख हैं। इन दोनों सीटों पर जनरल बिपिन रावत के भाई कर्नल विजय रावत (सेनि) पर दांव लगाने की चर्चाएं हो रही हैं।
हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता इस संभावना से इंकार कर रहे हैं। लेकिन पार्टी के हलकों में यह चर्चा है कि बुधवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद पार्टी में शामिल हुए कर्नल विजय रावत को सैनिक वोटों को साधने के लिए भाजपा मैदान में उतार सकती है। इधर, डोईवाला सीट पर कई और दावेदार भी जोर लगा रहे हैं।
पार्टी ने अभी कोटद्वार सीट पर नाम फाइनल नहीं किया है। इसी तरह केदारनाथ, टिहरी, पिरान कलियर, झबरेड़ा, रानीखेत, जागेश्वर, हल्द्वानी, रुद्रपुर और लालकुआं पर भी निर्णय नहीं लिया है। इनमें रुद्रपुर से राजकुमार ठुकराल विधायक हैं और उनके टिकट पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कांग्रेस कब्जे वाली पिरान कलियार, रानीखेत, जागेश्वर, केदारनाथ सीट पर भी पार्टी मजबूत चेहरे की तलाश रही है।
एक परिवार एक टिकट पर भाजपा दिखी सख्त
भाजपा एक परिवार एक टिकट के सिद्धांत पर सख्त दिखाई दी है। कुछ सीटों पर विधायक एक से अधिक टिकट की हसरत पाले हुए थे। पार्टी ने विधायक बेटे और पत्नी को टिकट तो दिया, लेकिन विधायक का टिकट काट दिया।
टिकटों के एलान से पहले पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी अपने और अपनी पुत्रवधू के लिए दो टिकटों की मांग कर रहे थे। लेकिन पार्टी ने एक परिवार एक टिकट के सिद्धांत के आधार पर उनकी मांग नहीं मानी। हरक ने जिद की तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया।
हरक पर दिखी सख्त कार्रवाई का ही नतीजा था कि पार्टी में अपने और रिश्तेदारों के लिए टिकट की मांग का दबाव दूर-दूर तक नहीं दिखा। पार्टी ने काशीपुर और खानपुर से विधायकों के रिश्तेदारों को टिकट तो दिया, लेकिन विधायक का टिकट काट दिया।