उत्तराखंड में सियासी तूफान थमने के बाद अब मंत्रियों की निगाह अपने विभागों पर है। इतना जरूर है कि मंत्रियों के विभागों में फेरबदल होगा। अंदरखाने इसको लेकर खींचतान के भी आसार हैं। त्रिवेंद्र सरकार के कद्दावर मंत्री मदन कौशिक के विभाग बंशीधर भगत को भी दिए जा सकते हैं। खुद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के पास सीमित विभाग रहने का अनुमान है। भाजपा की एक चुनौती अब नया संसदीय कार्य मंत्री खोजने की भी है।त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में मदन कौशिक के पास शहरी विकास, आवास विभाग था। संसदीय कार्यमंत्री का जिम्मा भी मदन कौशिक के पास था। कुंभ जैसे महत्वपूर्ण मौके को देखते हुए किसी वरिष्ठ मंत्री को ही यह विभाग मिलने की संभावना है।
इसी तरह लोक निर्माण विभाग खुद पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास था। इस बार यह विभाग किसी वरिष्ठ मंत्री के पास जाने की संभावना है। हरक सिंह वन और चिकित्सा शिक्षा मंत्री थे।
उनके पास श्रम विभाग की भी जिम्मेदारी थी। हरक इस बदले हुए दौर में इन विभागों को बनाए रखने की कोशिश कर सकते हैं। इसी तरह सतपाल महाराज पर्यटन, सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण महकमों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। सुबोध के पास कृषि महत्वपूर्ण विभाग था।छह बार के विधायक रह चुके बंशीधर भगत को बेहतर पोर्टफोलियो मिलने की उम्मीद है। वे पूर्व में परिवहन और वन विभाग को संभाल भी चुके है। यतीश्वरानंद, गणेश जोशी, बिशन सिंह चुफाल को भी ठीक-ठीक विभाग मिलने की उम्मीद है।पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास 40 से अधिक विभाग थे। नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अपनी अलग राह भी बना सकते हैं। वे अपने पास कम विभाग रखकर अपने साथियों को मजबूत करने पर जोर दे सकते हैं।स्वास्थ्य और आपदा जैसे विभाग त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में मुख्यमंत्री के पास ही थे। कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय की जिम्मेदारी किसी एक मंत्री को दिए जाने की मांग भी उठी थी। इसी तरह चमोली आपदा के दौरान अलग आपदा प्रबंधन मंत्री बनाने पर जोर दिया गया था। तीरथ मंत्रिमंडल में इन विभागों पर भी फैसला होना है।