थैलेसीमिया मरीजों को मिलेगी बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा, देश के नामी अस्पतालों में मिलेगा इलाज

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उत्तराखंड में थैलेसीमिया मरीजों को देश के नामी बड़े अस्पतालों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा मिलेगी। इलाज के लिए कोल इंडिया लिमिटेड की ओर से 10 लाख की सहायता राशि दी जाएगी। वर्तमान में प्रदेश में 291 थैलेसीमिया के मरीज पंजीकृत हैं।

मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सोनिका ने बताया कि 12 वर्ष तक की आयु के थैलेसीमिया मरीज, जिनके परिवार की आय पांच लाख तक है उन्हें बोन मैरो ट्रांसप्लांट इलाज के लिए कोल इंडिया लिमिटेड की ओर से 10 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से थैलेसीमिया मरीजों को नियमित रूप से रक्त संचरण की सुविधा दी जा रही है। जिसमें नैनीताल, देहरादून, अल्मोड़ा, हरिद्वार जिले में इंटरवेशन सेंटर स्थापित किए गए हैं। इन सेंटरों में निशुल्क रक्त चढ़ाने के साथ ही दवाईयां भी दी जाती हैं। चालू वित्तीय वर्ष में थैलेसीमिया मरीजों को 1427 बार निशुल्क रक्त और दवाईयां दी गई हैं।

एनएचएम प्रभारी अधिकारी डॉ.वीएस टोलिया ने बताया कि इस रोग की पहचान तीन माह की आयु में ही हो जाती है। यदि माता-पिता दोनों थैलेसीमिया से ग्रसित हैं तो बच्चे में इस रोग के होने की 25 प्रतिशत आशंका रहती है।

क्या है बोन मैरो ट्रांसप्लांट

थैलीसीमिया जैसी जानलेवा बीमारी के इलाज में बोन मैरो ट्रांसप्लांट काफी कारगर साबित होती है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट से थैलीसीमिया से ग्रसित मरीज के क्षतिग्रस्त बोन मैरो के स्थान पर एक स्वस्थ रक्त उत्पादक बोन मैरो को प्रतिस्थापित किया जाता है।

किस जिले में कितने रोगी
जिला             रोगी
नैनीताल         122
हरिद्वार           65
देहरादून         95
अल्मोड़ा         09

पीजीआई चंडीगढ़, एम्स दिल्ली, राजीव गांधी कैंसर संस्थान दिल्ली, सीएमसी वेल्लौर, टाटा मेडिकल सेंटर कोलकाता, संजय गांधी मेडिकल काॅलेज लखनऊ, नारायण हृदयालया लुधियाना, सीएमसी लुधियाना जैसे बड़े अस्पतालों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट का इलाज किया जाएगा।

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