दिल्ली में अटके फैसले, शाह-नड्डा से मुलाकात के बाद भी नहीं लौटे मुख्यमंत्री रावत

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प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस से जुड़े अहम सियासी फैसले दिल्ली दरबार में अटके हुए हैं। सबकी निगाहें दिल्ली पर लगी हैं। आधी रात में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को बृहस्पतिवार की शाम देहरादून लौटना था। पर अचानक उनकी वापसी का कार्यक्रम टल गया।

अभी यह रहस्य बना है कि आखिर पार्टी के केंद्रीय नेताओं से उन्हें क्या दिशा-निर्देश मिले हैं। मुख्यमंत्री खेमे का कहना है कि तीरथ सिंह रावत उपचुनाव में जाएंगे और अब गेंद चुनाव आयोग के पाले में है।चर्चा यह भी है कि दो-तीन दिन में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व कोई बड़ा फैसला ले सकता है। यह बड़ा फैसला क्या है, इस पर कोई भी खुलकर नहीं बोल रहा। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी इस वक्त काफी सक्रिय हैं। कुमाऊं दौरे से लौटने पर दून में उनके जोरदार स्वागत समारोह की पार्टी में खूब चर्चा है।

कांग्रेस में भी नेता प्रतिपक्ष के नाम के एलान का इंतजार

उधर, कांग्रेस में भी नेता प्रतिपक्ष के नाम के एलान का इंतजार है।  पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश रावत व प्रीतम सिंह समेत अन्य विधायकों ने केंद्रीय नेताओं के साथ जमकर मंथन किया। फैसला कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ दिया है। सोनिया दरबार से फैसला आने तक कांग्रेस हलकों में प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने की चर्चाएं गरमा रही हैं।

प्रीतम नेता प्रतिपक्ष बनेंगे तो उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी होगी। ऐसी स्थिति में अध्यक्ष पद के लिए भी नाम तय करना पड़ेगा। फैसले के इंतजार में प्रीतम दिल्ली में ही जमे हैं। पार्टी के कुछ विधायक  दिल्ली से लौट आए हैं। वैसे जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर कई नाम हवाओं में तैर रहे हैं।

हरीश और प्रीतम खेमे की ओर से ब्राह्मण नेताओं के नाम अचानक चर्चाओं में आ गए हैं। गढ़वाल से किशोर उपाध्याय, गणेश गोदियाल, मंत्री प्रसाद नैथानी, कुमाऊं से मनोज तिवारी और प्रकाश जोशी के नामों की चर्चा है। प्रीतम खेमे से भुवन कापड़ी और अब आर्येंद्र शर्मा को दिल्ली बुलाए जाने की भी चर्चा जोरों पर है।

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