दिव्यांगों को विभिन्न प्रकार की सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए यूनिक डिसएबिलिटी आइडेंटिटी कार्ड (यूडीआइडी) बनाने में उत्तराखंड पिछड़ रहा है। प्रदेश में बीते चार साल में केवल 8.47 फीसद कार्ड ही बनाए जा सके हैं। भारत सरकार के स्वावलंबन पोर्टल के आधार पर दिव्यांगों के स्मार्ट कार्ड बनाने में उत्तराखंड का देश में 32वां स्थान है।
दिव्यांगों को यूडीआइडी के रूप में स्मार्ट कार्ड बनाकर दिया जा रहा है। जिसके आधार पर विभिन्न सरकारी योजनाओं व पेंशन आदि का लाभ मिल रहा है। समाज कल्याण निदेशक राजेंद्र कुमार ने बताया कि इस योजना से अब दिव्यांगों को सभी कागजात व प्रमाण पत्र दिखाने की आवश्यकता नहीं होगी। यह कार्ड किसी भी जनसेवा केंद्र में जाकर 10 रुपये का शुल्क देकर बनवाया जा सकता है।
आंध्र प्रदेश पहले तो एमपी दूसरे स्थान पर
राष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांग लाभाॢथयों को यूडीआडी कार्ड का लाभ दिलाने में आंध्र प्रदेश पहले स्थान पर है। जहां लक्ष्य के सापेक्ष शत प्रतिशत कार्ड बनाने का कार्य पूरा हो गया है। दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश में 89 फीसद व तीसरे नंबर पर अंडमान निकोबार में 83 फीसद कार्ड बनकर तैयार हो गए हैं। उत्तराखंड का राष्ट्रीय स्तर पर 32वां स्थान है।
बागेश्वर में 35 तो देहरादून में 1.93 फीसद कार्ड बने
उत्तराखंड में बागेश्वर जिला पहले पायदान पर है। यहां 35 फीसद दिव्यांगों के कार्ड बन गए हैं। जबकि देहरादून में अभी तक मात्र 1.93 फीसद कार्ड बन सके हैं। उत्तरकाशी में 1.12 फीसद, चम्पावत में 2.97, टिहरी में 4.64, यूएस नगर में 4.07, नैनीताल में 20.13, हरिद्वार में 15.48 फीसद कार्ड बन पाए हैं।
समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने बताया कि यूडीआइडी कार्ड के बारे में विभागीय अधिकारियों को दिशानिर्देश दिए गए हैं। भविष्य में बेहतर प्रगति नहीं हुई तो दंडात्मक कार्रवाई भी की जाएगी। वहीं समाज कल्याण के निदेशक राजेंद्र कुमार का कहना है कि यूडीआइडी कार्ड की मॉनीटरिंग नियमित रूप से की जा रही है। सभी जिले के समाज कल्याण अधिकारियों को इसका प्रचार-प्रसार करने व लाभ दिलाने के निर्देश दिए गए हैं।