देहरादून के राजकीय दून मेडिकल अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग की गड़बड़ी से एक गर्भवती को किसी पुरुष की जांच रिपोर्ट थमा दी गई। महिला के पति ने जब घर जाकर जांच रिपोर्ट देखी तो दंग रह गए। आननफानन वह फिर से अस्पताल पहुंचे और अपनी रिपोर्ट मांगी।
डॉक्टर ने उन्हें दोबारा जांच की सलाह दी
पैथोलॉजी विभाग के कर्मचारी उनकी समस्या का समाधान न कर पाए तो वह डॉक्टर के पास पहुंचे। डॉक्टर ने उन्हें दोबारा जांच की सलाह दी, लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं हुए और चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय में शिकायत की। चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय के समझाने पर वह दोबारा जांच कराने को तैयार हुए। हाथीबड़कला निवासी युवक ने बताया कि उनकी पत्नी गर्भवती है। मंगलवार को वह जरूरी परामर्श के लिए पत्नी को लेकर स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉक्टर के पास पहुंचे थे। डॉक्टर ने जरूरी जांच की सलाह दी थी। इस पर मंगलवार को ही अस्पताल की पैथोलॉजी विभाग में महिला ने जांच के लिए सैंपल दिए थे। बुधवार को युवक पत्नी को साथ लेकर जांच रिपोर्ट लेने अस्पताल पहुंचे। एक रिपोर्ट बृहस्पतिवार को मिलनी थी। इसलिए महिला डॉक्टर को दिखाने के बजाय वह रिपोर्ट लेकर पत्नी को घर ले गए।
उन्होंने घर जाकर देखा तो जांच रिपोर्ट में पत्नी की जगह किसी पुरुष का नाम था। युवक ओपीडी और जांच रिपोर्ट के पर्चे लेकर फिर पैथोलॉजी विभाग में पहुंचे और अपनी पत्नी की जांच रिपोर्ट मांगी। पैथोलॉजी विभाग के कर्मियों ने खोजबीन की, लेकिन युवक की पत्नी के नाम की जांच रिपोर्ट नहीं मिली। चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय के हस्तक्षेप पर युवक शाम को पत्नी को लेकर फिर से अस्पताल पहुंचे और जांच के लिए दोबारा से सैंपल दिलाया।
जच्चा-बच्चा दोनों के लिए हो सकता था खतरा
पत्नी की जगह मिली किसी पुरुष की जांच रिपोर्ट को लेकर जब युवक महिला डॉक्टर के पास पहुंचे तो डॉक्टर भी हैरान रह गई। डॉक्टर ने कहा कि जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी होने से उपचार भी गलत हो सकता है। जो जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरा हो सकता है। ऐसे में इस रिपोर्ट पर विश्वास कर किसी तरह का जोखिम लेना ठीक नहीं है। इसलिए दोबारा जांच कराना उचित होगा।
अक्सर होती हैं गड़बड़ियां
अस्पताल कर्मियों के मुताबिक पैथोलॉजी विभाग में अक्सर इस तरह की गड़बड़ी सामने आती रहती हैं। रोजाना औसतन चार मामले इस तरह की गड़बड़ियों के आ रहे हैं। जिससे मरीजों को मुसीबत होती है।
इस तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए पैथोलॉजी विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को निर्देशित किया जा रहा है। वह खुद भी पूरे मामले को दिखवाएंगे।
– डॉ. केसी पंत, चिकित्सा अधीक्षक, राजकीय दून मेडिकल अस्पताल