उत्तराखंड के तीनों ऊर्जा निगमों के कर्मचारियों के आंदोलन के लिए देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों का समर्थन लेकर ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे देहरादून पहुंच गए। उन्होंने कहा कि वह टकराव नहीं चाहते लेकिन अगर सरकार ने कर्मचारियों का उत्पीड़न, गिरफ्तारी की तो देशभर से बिजली कर्मचारी उत्तराखंड आकर सामूहिक गिरफ्तारी देंगे।
उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर चल रहे चरणबद्ध आंदोलन के समर्थन में पहुंचे फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने कहा कि वह कोई नई मांग नहीं कर रहे हैं। यूपी के समय से जो व्यवस्थाएं की गई थीं, वह केवल उन्हें लागू रखे रहने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूपी के समय से हुए समझौतों में ही यह स्पष्ट है कि बिजली कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाएं किसी भी सूरत में कमतर नहीं होंगी। इसकी तुलना किसी और विभाग से करना सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि हड़ताल हमारा उद्देश्य नहीं है।
उन्होंने मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री से अपील की कि वह तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप करें। कोई नई मांग नहीं है। जो छीनी गई है, वह मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री से समझौता हुआ लेकिन इसका सम्मान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह यहां देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों का समर्थन लेकर आए हैं। उन्होंने कहा कि जिन ऊर्जा संस्थानों में इतने सालों से कर्मचारी काम कर रहे हैं, वहां कोई नया कर्मचारी बिना प्रशिक्षण कैसे काम कर सकेगा। अरबों-खराबों रुपये के पावर प्रोजेक्ट को कैसे प्राइवेट ठेकेदार या कर्मचारी चलाएंगे। सरकार की यह मंशा बिल्कुल गलत है। सरकार बिजली व्यवस्था के साथ खिलवाड़ न करे। अभी समय है, मुख्यमंत्री खुद बात करें और समस्याओं का हल निकालें।
मोर्चा संयोजक इंसारूल हक ने कहा कि वह 2017 से लगातार अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई न किसी सरकार के खिलाफ है और न ही किसी नेता के खिलाफ। कई दौर की बातचीत हुई और समझौते भी किए गए। 27 जुलाई को ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने वादा किया था कि 15 दिन के भीतर निगम स्तर और इससे ऊपर की मांगों को एक माह के भीतर पूरा किया जाएगा।
अफसोस की बात है कि आज तक एक भी समस्या का समाधान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी 9-14-19 वर्ष में एसीपी की व्यवस्था दोबारा शुरू करने सहित 14 सूत्री मांगें हैं, जिनके लिए वह आंदोलन कर रहे हैं। इस मौके पर कार्तिकेय दुबे, अमित रंजन, जगदीश चंद्र पंत, पंकज सैनी, शांडिल्य, विनोद कवि, मनोज पंत, नत्थू सिंह रवि, बीरबल सिंह, दिनेश चंद्र ध्यानी, भगवती प्रसाद, सुनील मोगा, भानु प्रकाश जोशी आदि मौजूद रहे।