देहरादून। देहरादून के 1300 मकानों पर बुल्डोजर चलेगा। यह ऐसे मकान हैं, जो कि डूब क्षेत्र यानी नदी किनारे बने हुए हैं। इनकी मुकदमों की सुनवाई पूरी हो चुकी है। पहले चरण में 205 मकान मालिकों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। 50 से अधिक पट्टाधारकों के चालान किए गए हैं।
डूब क्षेत्र के मुकदमों में सुनवाई पूरी होनेे के बाद अब इनकी बेदखली होगी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद शुरू हुई कार्रवाई के बीच पिछले दिनों गढ़वाल आयुक्त ने भी प्रशासन को बेदखली प्रक्रिया शुरू करने को कहा था।
जून 2019 में हाईकोर्ट (नैनीताल) के आदेश के बाद श्रेणी-132 (नदी, जोहड़, आदि) की भूमि पर बने निर्माणों की पड़ताल शुरू हुई थी। आदेश हुए थे कि डूब क्षेत्र होने के कारण यहां से लोगों को बेदखल कर निर्माण ध्वस्त किए जाएं।
प्रशासन की पड़ताल में जिले में ऐसे 1365 निर्माण पाए गए। इनमें 40 निर्माण सरकारी पाए गए। प्रशासन ने सभी को नोटिस भेजे और संबंधित एसडीएम कोर्ट में मुकदमों का दौर शुरू हुआ। सरकारी निर्माणों पर कार्रवाई करने को प्रशासन शुरू से ही उहापोह की स्थिति में रहा। जिसकी वजह से इन निर्माणों पर आज तक भी फैसला नहीं हो पाया है।
प्रशासन ने ही बसाए थे लोग
जबकि कुछ निजी पट्टाधारकों के मामलों में सुनवाई पूरी हो चुकी है। देहरादून तहसील क्षेत्र में 205 लोगों को नोटिस जारी किए गए थे। एसडीएम सदर गोपालराम बिनवाल ने बताया कि कई लोगों के मुकदमों में सुनवाई पूरी होने के बाद बेदखली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
उन्हें जो टाइम दिया गया था वह पूरा हो चुका है। जबकि, कई लोगों के चालान किए गए हैं। एसडीएम सदर ने अगले हफ्ते तक मामले में पूरी रिपोर्ट तैयार करने की बात कही है। जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव भी पूरे मामले की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने भी अधीनस्थों से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है।
राज्य बनने के बाद राजधानी में बड़ी संख्या में लोग अपना-अपना आशियाना बनाने में जुटे थे। इसी बीच प्रशासन ने भी रिस्पना नदी के किनारे पट्टे आवंटित करने शुरू कर दिए। श्रेणी-132 जिसमें कोई निर्माण नहीं किया जा सकता है उन्हें प्रशासन ने बंजर भूमि की श्रेणी में रखकर आवंटित कर दिया। जिन लोगों को पट्टे दिए गए थे उनमें से कई ने बेच दिए हैं। जबकि कुछ इन पर निवास ही नहीं करते।