देहरादून में अतिक्रमण नहीं हटाने पर हाईकोर्ट गंभीर, अधिकारियों को अवमानना की चेतावनी

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देहरादून। हाईकोर्ट ने देहरादून में अभी तक अतिक्रमण नहीं हटाने को बेहद गंभीरता से लिया है। मामले में कोर्ट ने नगर निगम के अधिकारी, जिलाधिकारी, कैंट बोर्ड, एमडीडीए के उच्चाधिकारियों सहित शहरी विकास सचिव को 19 नवम्बर को व्यक्तिगत रूप में कोर्ट में पेश होने को कहा है । साथ ही चेतावनी दी है कि क्यों नहीं आप के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाए।

मंगलवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की खण्डपीठ में मामले पर सुनवाई हुई। पूर्व में कोर्ट ने एसएसपी अरुण मोहन जोशी को निर्देश दिए थे कि याचिकाकर्ता को सुरक्षा प्रदान की जाए। देहरादून निवासी आकाश यादव ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि 2018 में उच्च न्यायलय ने मनमोहन लखेड़ा की जनहित याचिका में अहम आदेश पारित किया था। कोर्ट ने देहरादून से सड़कों, गलियों, नालियों व रिस्पना नदी से अतिक्रमण हटाकर उसे पुराने स्वरूप में लाने के आदेश दिए थे।

जिसके बाद प्रसाशन ने घण्टाघर सहित कई स्थानों से अतिक्रमण हटाया परन्तु सरकारी तंत्र की लापरवाही के चलते लोगों ने कई स्थानों पर पुनः अतिक्रमण कर लिया। जिसके कारण रोड, नालियां, गलियां सहित कई मार्ग संकरित हो गयी है और आम लोगो के चलने तक का रास्ता नही बचा है, इसलिए देहरादून की अतिक्रमण मुक्त कराने की प्रार्थना की है। कोर्ट ने शहरी विकास सचिव शैलेश बगौली, सी रविशंकर, आशीष श्रीवास्तव, विनय शंकर पांडेय, अरुण मोहन जोशी, राजीव शर्मा को तलब किया है।

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