देहरादून में चार मरीज आए सामने, सरकार ने रोकथाम के लिए मांगे सुझाव

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कोरोना संक्रमित मरीजों में होने वाली ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) जैसी घातक बीमारी ने उत्तराखंड में भी दस्तक दे दी है। देहरादून के मैक्स अस्पताल में पहुंचे एक मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। जबकि मैक्स और दून अस्पताल में तीन अन्य मरीजों में भी इसके लक्षण मिले हैं। इससे शासन-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के साथ ही आमजन की चिंता बढ़ गई है। जबकि विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि इससे घबराने की नहीं, बल्कि उचित उपचार और एहतियात बरतने की जरूरत है।मैक्स अस्पताल में एक मरीज में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है। जबकि ऐसे ही लक्षण वाले दो अन्य मरीज पहले ही अस्पताल से इलाज कराकर छुट्टी ले चुके हैं। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ.राहुल प्रसाद ने बताया कि यह बीमारी और भी रोगों के साथ देखी जाती रही है। यह कहना तो मुश्किल होगा कि यह बीमारी राज्य में पहली बार देखी गई है, परंतु कोविड का इलाज करा चुके कुछ मरीजों में यह बीमारी देखी गई है। वहीं, सूत्रों ने बताया कि दून अस्पताल में भी ब्लैक फंगस का एक संदिग्ध मरीज आया है।प्रदेश में ब्लैक फंगस की पुष्टि होने से सरकार और स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। शुक्रवार को सचिव स्वास्थ्य डॉ.पंकज कुमार पांडेय ने तकनीकी समिति ने ब्लैक फंगस संक्रमण की रोकथाम के लिए सिफारिशें मांगी हैं। सचिव स्वास्थ्य ने हेमवती नंदन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.हेम चंद्रा की अध्यक्षता में गठित तकनीकी समिति से ब्लैक फंगस संक्रमण की रोकथाम के लिए सिफारिशें मांगी हैं। सचिव ने समिति को सरकार को व्यापक सिफारिशें देने को कहा है। जिसके आधार पर नीति बनाई जाएगी। आदेश में कहा गया है कि देेश के विभिन्न क्षेत्रों में कोविड संक्रमित मरीजों में ब्लैक फंगस संक्रमण की शिकायतें सामने आ रही हैं। प्रदेश में भी इसकी रोकथाम के लिए व्यापक इंतजाम करने की जरूरत है। बताया जा रहा है कि ब्लैक फंगस कोविड संक्रमित डायबिटीज मरीजों में ज्यादा घातक हो रहा है।ब्लैक फंगस आंखों के साथ त्चचा, नाक, दांतों को भी नुकसान पहुंचाता हैं। नाक के जरिए फेफड़ों और मस्तिष्क में पहुंचकर ब्लैक फंगस लोगों की जान भी ले रहा है। यह इतनी गंभीर बीमारी है कि मरीजों को सीधा आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है।

वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. राजे नेगी ने बताया कि कोविड संक्रमण के पहले नौ दिन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के चलते मरीज काले फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) की चपेट में आ सकते हैं। उन्होंने बताया कि आंखों के साथ यह फंगस त्वचा, नाक, फेफड़ों और मस्तिष्क के लिए बेहद खतरनाक होता है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में कोविड मरीज को स्टेरॉयड, एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाएं दी जाती है।

लंबे समय तक इन दवाओं के इस्तेमाल से ब्लैक फंगस की गिरफ्त में आने की संभावना बढ़ जाती है। डा. राजे नेगी ने बताया कि अगर संक्रमण नाक के रास्ते फेफड़ों और मस्तिष्क तक पहुंच जाता है तो भी यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। उन्होंने बताया फिलहाल महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, ओडिशा, मध्यप्रदेश और दिल्ली में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं। ब्लैक फंगस के चलते कई लोगों की मौत हुई है।

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