देहरादून। राज्य में दो नवम्बर से राजकीय और राजकीय सहायता प्राप्त स्कूल खोले जाने हैं जिनमें केवल 10वीं और 12वीं कक्षा की पढ़ाई शुरू होनी है। ऐसे में शिक्षा विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। विभाग की ओर से सभी अभिभावकों को ‘अभिभावक सहमति एवं घोषणा पत्र’ भेजा जा रहा है। बच्चों को स्कूल भेजने से पहले अभिभावकों को लिखित में सहमति देनी अनिवार्य है।
बीते आठ माह से कई बार स्कूलों को खोलने की कोशिश शासन द्वारा की गई लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों का अड़ंगा हर बार लगता रहा। जिसके बाद शासन ने अब दो नवम्बर से स्कूल शुरू करने का मन बनाया है। इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा एसओपी भी जारी की गई है। एसओपी के अनुपालन में शिक्षा महकमे द्वारा अभिभावकों को जो पत्र जारी किया है उसमें कहा गया है कि अभिभावक अपने पाल्यों को स्कूल भेजने से पूर्व इस बात से संतुष्ट हो जाएं कि उनके पाल्य का शारीरिक स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है। कहा है कि इसकी निरंतर जांच करते रहें।
स्वास्थ खराब हो तो स्कूल को बताएं
यदि किसी बच्चे की तबियत खराब है तो उसके अभिभावकों को ये बात स्कूल को भी बतानी होगी। फ्लू के लक्षण होने पर डॉक्टर की सलाह जरूरी होगी। ऐसी स्थिति में बच्चे को स्कूल नहीं भेजना होगा।
स्वास्थ्य का देना होगा विवरण
विभाग की ओर से भेजे गए सहमति एवं घोषणा पत्र में अभिभावकों को अपने बच्चे के स्वास्थ्य का विवरण देना है। उसे कोई बीमारी (कफ, बुखार, सांस लेने में तकलीफ) के लक्षण है या नहीं, कोई अन्य बीमारी (मधुमेह, उच्च रक्त चाप, लीवर संबंधी बीमारी, हृदय संबंधी बीमारी) तो नहीं, क्या पाल्य ने हाल ही में कोविड-19 के तहत प्रतिबंधित क्षेत्र की है?, क्या परिवार का कोई सदस्य कोविड से संक्रमित है? इस सभी सवालों के जवाब देना होगा।
खाना नहीं बांटना होगा
अभिभावकों को सहमति पत्र में यह भी लिखना होगा कि वे अपने बच्चे को स्कूल भेजने को तैयार हैं। बच्चा स्कूल में अपने खाने-पीने का सामान किसी दूसरे बच्चे को नहीं देगा।