देहरादून। शहर को जाम की बीमारी से कुछ राहत देने के लिए महापौर सुनील उनियाल गामा ने परेड ग्राउंड से धरना स्थल शिफ्ट करने के संकेत दिए हैं। उन्होंने परेड ग्राउंड के इर्द-गिर्द शहर का प्रमुख हिस्सा बताते हुए यहां धरना-प्रदर्शनों को जाम का मुख्य कारण ठहराया। आमजन की परेशानी को देखते हुए महापौर ने धरना स्थल ननूरखेड़ा स्थित नगर निगम की भूमि पर शिफ्ट करने का निर्णय लिया है।
दरअसल, परेड मैदान में जहां-तहां धरने-प्रदर्शनों से आमजन को हो रही परेशानियों को देखते हुए कुछ साल पहले सरकार किसी निश्चित स्थान की तलाश में थी। जहां तमाम संगठन व आंदोलनकारी धरना-प्रदर्शन कर सकें। इस बीच परेड मैदान को खेलकूद के अनुरूप तैयार करने के लिए खेल विभाग को अहम जिम्मेदारी भी सौंप दी गई।
ऐसे में लैंसडौन चैक के समीप सिटी बस अड्डे की भूमि को धरना स्थल के रूप में विकसित कर दिया गया। हालांकि नगर निगम की इस भूमि पर अस्थायी रूप से यह धरना स्थल बनाया गया। इसके बाद यहां से आए दिन दर्जनों संगठनों ने धरने-प्रदर्शन शुरू कर दिए और रैलियां निकालने लगे। यह सिलसिला अब तक भी बदस्तूर जारी है।
ऐसे में यहां पर प्रदर्शनों और रैलियों के कारण लैंसडौन चैक से कनक चैक तक तो जाम लगता ही है, आसपास के प्रमुख मार्गों पर भी यातायात थम जाता है। इससे आम लोगों को खासी दिक्कत होती है। इसे देखते हुए अब महापौर सुनील उनियाल गामा ने धरना स्थल शिफ्ट करने का निर्णय लिया है। उन्होंने शहर की जाम की समस्या को कुछ कम करने की बात कहते हुए धरना स्थल ननूरखेड़ा स्थानांतरित करने की योजना बनाई है। नया साल शुरू होने तक नगर निगम परेड ग्राउंड से धरना स्थल शिफ्ट कर देगा।
ननूरखेड़ा में शिफ्ट होगा
महापौर सुनील उनियाल गामा के मुताबिक, शहर के बीच में धरना स्थल होने के कारण कई प्रकार की समस्याएं पेश आती हैं। रैलियों और प्रदर्शनों के कारण परेड ग्राउंड के चारों ओर जाम की स्थिति रहती है। ननूरखेड़ा में नगर निगम का एक बड़ा भूखंड है, जिस पर धरना स्थल शिफ्ट किया जाएगा।
पीआरडी कार्यालय के पास है भूमि
ननूरखेड़ा में पीआरडी कार्यालय के पास नगर निगम की बड़ी भूमि है। जो काफी समय से अनुपयोगी पड़ी है। ऐसे में नगर निगम इसे धरना स्थल बनाने को तैयार है।
प्रदर्शनकारियों को होगी दिक्कत
परेड ग्राउंड से धरना स्थल शिफ्ट होने से प्रदर्शनकारियोंको खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। अक्सर सचिवालय और विधानसभा कूच करने वाले और शहर में रैली निकालने वाले संगठनों को मशक्कत करनी पड़ेगी। हालांकि, उम्मीद जताई जा रही है कि इससे आमजन को काफी राहत मिलेगी।