देहरादून। राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता और निर्मलता के लिए चल रही केंद्र सरकार की ध्वजवाहक नमामि गंगे परियोजना में अब उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की नदियां भी शामिल होंगी। गढ़वाल मंडल में गंगा और उसकी सहायक नदियों की स्वच्छता की मुहिम के बेहतर नतीजों को देखते हुए अब प्रदेश सरकार ने कुमाऊं की नदियों को लेकर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) में दस्तक दी है। इस बारे में शासन की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर एनएमसीजी में मंथन चल रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही इसे केंद्र सरकार से हरी झंडी मिल जाएगी।
नमामि गंगे परियोजना के तहत गढ़वाल मंडल में गंगा के उद्गम स्थल गोमुख से लेकर हरिद्वार तक गंगा व उसकी सहायक नदियों को शामिल किया गया। इसके तहत गंगा के साथ ही उसकी सहायक अलकनंदा, भागीरथी, मंदाकिनी, नंदाकिनी समेत अन्य नदियों से सटे 15 नगरीय क्षेत्रों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, नालों की टैपिंग से संबंधित कार्य कराए गए। मकसद यह कि इन नगरीय क्षेत्रों से गंदगी और कूड़ा-कचरा गंगा में न जाने पाए। साथ ही नदियों की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए जनसामान्य को जागरूक करने को अभियान चलाए गए। इस पहल के बेहतर नतीजे आए हैं।
उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक गोमुख से लेकर ऋषिकेश तक गंगा के जल की गुणवत्ता ए श्रेणी की है। ऋषिकेश से आगे हरिद्वार तक भी गंगा जल में सुधार हुआ है।इस सबको देखते हुए प्रदेश सरकार ने कुमाऊं क्षेत्र की नदियों को नमामि गंगे में शामिल करने के मद्देजनर कवायद शुरू की है। पेयजल मंत्री बिशन सिंह चुफाल ने इस संबंध में महानिदेशक एनएमसीजी राजीव रंजन मिश्रा को पत्र भेजा है।
उन्होंने कहा है कुमाऊं की कालीगंगा (शारदा), रामगंगा, कोसी, गौला, सरयू, ढेला, भेला समेत अन्य नदियां भी गंगा की सहायक हैं। नमामि गंगे में शामिल होने पर इन नदियों को स्वच्छ और निर्मल बनाया जा सकेगा। उधर, सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में शासन से प्रस्ताव भी एनएमसीजी को भेज दिए गए। एनएमसीजी ने इनका तकनीकी परीक्षण भी करा लिया है।