नशा मुक्ति केंद्रों के बुरे हाल, कहीं डॉक्टर नहीं तो कुछ 10वीं पास से करा रहे इलाज

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कुकुरमुत्तों की तरह पनप रहे नशा मुक्ति केद्रों के बुरे हाल हैं। किसी में डॉक्टर नहीं हैं तो कोई 10वीं पास से ही इलाज कराने में जुटा हुआ है। युवक और युवतियों को एक ही कमरे में रखा गया है। यही नहीं एक नशा मुक्ति केंद्र में तो दो कमरों में 10-20 नहीं बल्कि 52 मरीजों को रखा गया है। नशा मुक्ति केंद्रों का यह सच बृहस्पतिवार को जिला समाज कल्याण विभाग और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के औचक निरीक्षण में सामने आया। सभी केंद्रों को दो दिन का समय दिया गया है। इसके बाद कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
संयुक्त टीम ने एसजी फाउंडेशन ईसी रोड, जीवन ज्योति नशा मुक्ति केंद्र बड़ोवाला, जीवन दा नशा मुक्ति केंद्र बड़ोवाला, लास्ट रिहैब गणेशपुर बुड्डी का औचक निरीक्षण किया। यहां जब टीम पहुंची तो खामिया ही खामियां नजर आईं। एसजी फाउंडेशन में युवक और युवतियों को एक ही जगह रखा गया है। यहां पर लड़कियों की देखरेख को कोई डॉक्टर नहीं आता है। युवतियों ने टीम को बताया कि उन्होंने कई बार डॉक्टर को बुलाने को कहा, लेकिन उन्हें सुविधा मुहैया नहीं कराई गई। उनका समय-समय पर चेकअप भी नहीं किया जाता है। जिला सहायक समाज कल्याण अधिकारी संदीप सिंह ने बताया कि यहां पर दो लड़कियों को देखभाल के लिए रखा गया है। इनमें एक 10वीं पास है तो दूसरी 12वीं। इनमें से किसी को ब्लड प्रेशर तक नापना नहीं आता है। ऐसे में यह क्या देखभाल कर सकती है। इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

टीम को पता चला कि किसी भी नशा मुक्ति केंद्र में तैनात कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन नहीं कराया गया है। उन्होंने बताया कि सभी सेंटरों को दो दिन का समय दिया गया है। इसके बाद इनके खिलाफ सख्ती से पेश आएंगे। सभी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए प्रशासन को लिखा जाएगा।
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घरवालों ने बिना वजह ही भर्ती करा दिया बुजुर्ग महिला को
अधिकारियों की उस वक्त आंखे खुली की खुली रह गईं जब पता चला कि यहां तो नशा न करने वालों को भी भर्ती कराया गया है। यहां एक महिला ने बताया कि उन्हें कोई लत नहीं है। वह दिमाग की मरीज हैं, लेकिन उन्हें एसजी फाउंडेशन में भर्ती करा दिया गया है। हद तो तब हुई जब एक 82 वर्षीय महिला ने बताया कि उन्हें तो घरवाले यहां जबरदस्ती भर्ती करा गए हैं। यहां पर किसी के इलाज की व्यवस्था नहीं की गई है।

जीवन ज्योति नशा मुक्ति केंद्र में छलक रहे थे जाम
दावा नशा छुड़ाने का किया जाता है, लेकिन जीवन ज्योति नाम के केंद्र में तो स्टाफ शराब का सेवन करते हुए पाया गया। पूछताछ के दौरान पता चला कि वह दोनों बहुत नशे में हैं। नशा मुक्ति केंद्र में कैमरे तो लगे थे, लेकिन लाइट न होने के कारण सारे कैमरे बंद थे।
जीवन दा नशा मुक्ति केंद्र : जयादातर खामियां ही मिलीं। इस नशा मुक्ति केंद्र में न ही कैमरे, न ही स्टाफ का वेरिफिकेशन और कोई मेडिकल डॉक्टर विजिट पर भी समय पर नहीं आता।

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