देहरादून। नाबालिग चचेरी बहन से दुष्कर्म में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिरुद्ध भट्ट की अदालत ने दोषी भाई को बीस साल कैद की सजा सुनाई है। दोषी पर तीस हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है, जिसे अदा न करने पर एक वर्ष का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। अदालत ने पीड़िता के ताऊ को गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर दोषमुक्त करार दे दिया है।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अरविंद कपिल ने अदालत को बताया कि घटना डालनवाला कोतवाली क्षेत्र की दो मार्च 2018 की है। पीड़िता का चचेरा भाई होली की छुट्टियों में उसके घर आया था। घटना के दिन पीड़िता की मां काम पर चली गई। घर में नाबालिग लड़की और उसका चचेरा भाई मौजूद थे। लड़की को अकेले पाकर उसके चचेरे भाई ने उसके साथ दुष्कर्म किया। रात को जब उसकी मां काम से लौटी तो किशोरी ने रोते हुए पूरी बात बताई।
मां किशोरी को लेकर थाने पहुंची और आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। तहरीर के आधार पर पीड़िता के चचेरे भाई और आरोपित के पिता के खिलाफ दुष्कर्म व पोक्सो एक्ट के तहत मुकदमा कायम किया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से कुल नौ गवाह पेश किए गए, जबकि बचाव पक्ष से एक भी गवाह पेश नहीं हुआ। अदालत ने गवाहों, साक्ष्यों व मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर चचेरे भाई को दोषी करार दिया, जबकि उसके पिता को दोषमुक्त कर दिया।
परिवार के विश्वास को ठगा
मामले में सजा सुनाते हुए अदालत ने परिवारजनों के संबंधों और उसके प्रति दायित्वों को रेखांकित किया। अदालत ने आदेश में कहा कि अभियुक्त द्वारा न केवल एक अबोध बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया, बल्कि पीड़िता व उसके परिवार के विश्वास को भी ठगा गया। इस तरह की घटना से न केवल छोटे बच्चों की सुरक्षा के संबंध में भय होगा। अपितु सामान्य लोग अपने ही पारिवारिक सदस्य को संदेह की दृष्टि से भी देखेंगे। इस कारण सजा में नरमी बरतना कहीं से भी न्यायोचित नहीं होगा।