देहरादून। दून में निजी स्कूल मनमानी से बाज नहीं आ रहे। अगर सरकार अभिभावकों को राहत देने के लिए कोई नियम-कानून बनाती भी है तो स्कूल अपनी जेब भरने के लिए नए हथकंडे अपनाने लगते हैं। अब सरकार ने सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने का आदेश दिया तो स्कूलों ने इसमें भी सेंध लगाते हुए अभिभावकों को लूटने का रास्ता निकाल लिया।
स्कूलों ने ट्यूशन फीस में ही अप्रत्यक्ष रूप से कई अन्य शुल्क जोड़कर इसमें 25 फीसद तक की बढ़ोत्तरी कर दी है। इस तरह निजी स्कूल ज्यादा फीस भी वसूल रहे हैं और शिक्षा विभाग को गुमराह कर कार्रवाई से भी बचे हुए हैं।
शिक्षा विभाग ने प्रदेश सरकार की सहमति से निजी स्कूलों को सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने की इजाजत दी है। साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि कोई स्कूल इस सत्र में फीस बढ़ोत्तरी नहीं करेगा और न ही किसी अभिभावक पर फीस वसूली के लिए दबाव बनाएगा। जो अभिभावक समर्थ हैं, वही फीस चुकाएंगे।
अब निजी स्कूल इन निर्देशों को ठेंगा दिखा रहे हैं। कई निजी स्कूलों ने ट्यूशन फीस के नाम पर ही दूसरे शुल्क वसूलना शुरू कर दिया है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि आमतौर पर स्कूलों की फीस जमा करने पर ट्यूशन फीस के साथ सालाना शुल्क, स्पोर्ट्स, यूनिफॉर्म, ट्रांसपोर्ट समेत दूसरे शुल्क के विकल्प भी प्रदर्शित होते हैं।
सरकार के सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलने के आदेश के बाद कई स्कूलों की फीस जमा करते वक्त इनमें से अधिकांश विकल्प नजर नहीं आ रहे। इसके अलावा ट्यूशन फीस भी पहले से बढ़ा दी गई है। कुछ अभिभावकों ने स्कूलों की इस करतूत की शिकायत शिक्षा विभाग और सीएम पोर्टल पर की है। वहीं, अधिकांश अभिभावक बच्चों के भविष्य की खातिर मजबूरी में यह शुल्क चुका रहे हैं।
फीस बढ़ोत्तरी पर स्कूल के खिलाफ मुकदमा
पटेलनगर स्थित शिवालिक इंटरनेशनल स्कूल के खिलाफ फीस बढ़ोत्तरी के मामले में शिक्षा विभाग की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया है। इस पर स्कूल प्रबंधन ने विभाग के सामने अपनी सफाई पेश की। स्कूल के चेयरमैन इकबाल सिंह ने बताया कि स्कूल की ओर से लॉकडाउन से पहले अभिभावकों को बुकलेट जारी की गई थी।
जिसके बाद करीब 21 अभिभावकों ने फीस जमा की। इस दौरान फीस न बढ़ाने के लिए कोई शासनादेश सरकार की ओर से जारी नहीं हुआ था। फीस नहीं बढ़ाने को लेकर आदेश प्राप्त होने के बाद अभिभावकों से कहा गया कि वह या तो चेक के माध्यम से बढ़ाकर दी हुई फीस की रकम वापस ले लें या अगली फीस में इसे एडजस्ट करवा लें।
इसके बावजूद किसी अभिभावक ने पुराने मैसेज को आधार बनाकर जिला प्रशासन से शिकायत की। मुख्य शिक्षा अधिकारी आशारानी पैन्यूली ने बताया कि स्कूल ने अपना पक्ष लिखित रूप में दे दिया है। जिसे खंड शिक्षा अधिकारी के माध्यम से मुकदमे के जांच अधिकारी को सौंपा जाएगा।
सरकार के निर्देशों का कर रहे पालन
प्रिंसिपल्स प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप के मुताबिक, निजी स्कूल इस बात का पूरा ध्यान रख रहे हैं कि सरकार के निर्देशों का पालन हो। प्रधानाचार्य के वेरीफिकेशन के बाद ही अभिभावकों से फीस वसूली जा रही है। जो स्कूल सरकार के निर्देश से इतर फीस ले रहे हैं, उन पर शिक्षा विभाग बेशक कार्रवाई कर सकता है।
शिकायत पर होगी कार्रवाई
मुख्य शिक्षा अधिकारी आशारानी पैन्यूली के अनुसार, शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों को सशर्त फीस वसूली की छूट दी है। स्कूलों को केवल समर्थ अभिभावकों से फीस लेने की छूट दी गई है। अगर कोई स्कूल शासन की ओर से दी गई छूट से इतर फीस लेगा तो लिखित शिकायत मिलने पर उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
फीस जमा करने के बाद भी आ रहा बकाया का संदेश
फीस न बढ़ाने के नाम पर भी कुछ स्कूल होशियारी दिखा रहे हैं। ये स्कूल वेबसाइट पर तो फीस में बढ़ोत्तरी नहीं दिखा रहे, लेकिन फीस जमा करने के कुछ समय अभिभावकों को बकाया जमा करने का संदेश भेज रहे हैं।
विकासनगर के एक निजी स्कूल के अभिभावक ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि बीते दिनों उन्होंने मार्च, अप्रैल और मई की निर्धारित फीस ऑनलाइन जमा की थी। अब मई में फीस के लगभग छह सौ रुपये बकाया बताए जा रहे हैं। यह शिकायत अन्य स्कूलों के अभिभावकों की भी है।
एक महीने की फीस का विकल्प ही नहीं
अधिकांश निजी स्कूल दो से चार माह की फीस एक साथ लेते हैं। कुछ ऐसे स्कूल भी हैं, जो छह महीने और साल भर की फीस एक साथ जमा करने का विकल्प भी देते हैं। अधिकांश स्कूलों ने एक महीने की फीस के लिए कोई विकल्प ही नहीं रखा है तो कुछ स्कूलों में एक महीने का विकल्प चुनने पर फीस जमा नहीं हो रही।