देहरादून। छात्रों की पिटाई के बाद एकेडमी पहुंचीं बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष ऊषा नेगी ने इस बात पर सवाल खड़े किए कि नेपाल के छात्रों के आधार कार्ड कैसे बन गए। उन्होंने कहा कि जिन दस्तावेज के आधार पर आधार कार्ड बने हैं, उनकी जांच की जानी चाहिए।
ऊषा नेगी ने कहा कि एकेडमी से पढ़ाई कर रहे छात्रों के आधार कार्ड एकेडमी की ओर से बनाए गए हैं। लिहाजा, पूरे प्रकरण की जांच कराई जानी जरूरी है। उन्होंने बताया कि प्रकरण को लेकर गृह मंत्रलय को पत्र भेजा रहा है और नेपाल की एंबेसी से भी बात की जा रही है।
गोरखा समाज ने प्रदर्शन कर जताया विरोध
एकेडमी में मारपीट की सूचना मिलने के बाद गोरखा समाज के पदाधिकारी भी पहुंच गए। गोरखा डेमोक्रेटिक फ्रंट के अध्यक्ष सूर्य विक्रम शाही, गोरखा कल्याण परिषद के अध्यक्ष टीडी भूटिया, आनंदमयी आश्रम हरिद्वार के प्रबंधक पुष्पराज पांडे, गोरखाली सुधार सभा की मीडिया प्रभारी प्रभा शाह, ग्राम प्रधान पुरोहितवाला मीनू क्षेत्री, पूर्व प्रधान नलिन, ज्योति व समाजसेवी टेक बहादुर ने छात्रों के साथ हुई घटना पर विरोध जताया।
अभिभावक नहीं पहुंचे तो मिली छात्रों को रखने की अनुमति
जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन के बाद जब आवाजाही की छूट मिली तो साक्या एकेडमी की ओर से छात्रों को यहीं रहने देने की अनुमति मांगी गई थी। उस समय एकेडमी प्रबंधन ने बताया था कि छात्रों के अभिभावकों को यात्र की अनुमति नहीं मिल पा रही है। ऐसे में विशेष परिस्थितियों को देखते हुए छात्रों को एकेडमी में ही रहने देने की अनुमति प्रदान की गई थी।
कई स्कूलों में छात्रों की सुरक्षा के दावे हवा
देहरादून भले ही शिक्षा का हब माना जाता हो, लेकिन यहां अक्सर स्कूलों की लापरवाही सामने आती रहती है। कई बार स्कूलों की व्यवस्था पर सवाल उठ चुके हैं। छात्र-छात्रओं की सुरक्षा को लेकर स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे, आइकार्ड पर माइक्रो ट्रेसिंग चिप सहित तमाम सुरक्षा के दावे तब धरे के धरे रह जाते हैं, जब इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं।