नेशनल हाईवे के लिए केंद्र ने किए 2200 करोड़ मंजूर, लोनिवि ने वार्षिक योजना में मांगे हैं 7044 करोड़

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उत्तराखंड में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण, सुधारीकरण एवं उनके चौड़ीकरण के लिए इस वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार से 2200 करोड़ रुपये मिलेंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राज्य के राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए अंतरिम स्वीकृति जारी कर दी है।

हालांकि मंजूर की गई धनराशि राज्य सरकार की उम्मीद से काफी कम है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर चल रहे कार्यों को देखते हुए लोक निर्माण विभाग के एनएच विंग ने 7044 करोड़ रुपये की वार्षिक योजना केंद्र सरकार को भेजी थी। विभागीय सूत्रों का मानना है कि वित्तीय वर्ष के दौरान राज्य सरकार के प्रयासों से धनराशि और इजाफा हो जाएगा।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के प्लानिंग जोन के सहायक अधिशासी अभियंता (नियोजन) सौरव शिवहरे ने सभी राज्यों के राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए वित्तीय वर्ष के दौरान वित्तीय स्वीकृति के संबंध में कार्यालय आदेश जारी कर दिया है।

सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 42,825 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। इसके तहत उत्तराखंड के लिए 22,00 करोड़ पड़ोसी राज्य यूपी के लिए 3,000 करोड़, हिमाचल प्रदेश के लिए 150 करोड़ रुपये की स्वीकृति हुई है। 

हिमालयी राज्यों में मणिपुर को सबसे अधिक 4000 करोड़
हिमालयी राज्यों में अरुणाचल प्रदेश के लिए 100 करोड़, असम के लिए 900 करोड़, जम्मू और कश्मीर के लिए 200 करोड़, मणिपुर के लिए 4000 करोड़, मिजोरम के लिए 200 करोड़, मेघालय के लिए 500 करोड़, नगालैंड के लिए 3600 करोड़, सिक्किम के लिए 400 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
राज्य में 2000 किमी से अधिक हैं नेशनल हाईवे
उत्तराखंड में लोक निर्माण विभाग के एनएच विंग के पास 2,091.34 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग की देखरेख का जिम्मा है। पिछले पांच साल के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों के चौड़ीकरण के कई परियोजनाओं पर काम शुरू हुआ है। चारधाम आलवेदर रोड के तहत बाइपास रोड, नए पुलों के प्रस्ताव हैं। सड़कों के चौड़ीकरण और सुधारीकरण भी होने हैं। इस वित्तीय वर्ष में इन सभी कार्यों के लिए 7044 की वार्षिक कार्ययोजना तैयार की गई है।  
पूरी धनराशि का नहीं हो पाता इस्तेमाल
लोक निर्माण विभाग की ओर से बेशक करोड़ों रुपये की वार्षिक योजना का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जाता है। लेकिन वित्तीय वर्ष के दौरान जो धनराशि प्राप्त होती है, वह पूरी खर्च नहीं हो पाती।

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