नोएडा एसटीएफ ने देहरादून से दबोचा वेस्ट यूपी का बदमाश धर्मेंद्र किरठल, दर्ज हैं 49 मुकदमे

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पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 50 हजार के इनामी बदमाश धर्मेंद्र किरठल को नोएडा एसटीएफ  दून से उठाकर ले गयी। किरठल पर विभिन्न जिलों में हत्या, लूट, डकैती के 49 केस दर्ज हैं।

धर्मेंद्र किरठल मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बागपत का रहने वाला है। बीते दो दशक से उनकी गैंग बागपत, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, गौतमबुद्धनगर में सक्रिय थी। उसके कुछ साथियों ने उत्तराखंड में भी अपराध करने की कोशिश की, लेकिन कभी सीधे तौर पर गैंग की भूमिका सामने नहीं आयी।अलबत्ता, गैंग के कई साथियों के उत्तराखंड में छिपे होने की सूचना समय-समय पर आती रही है। सूत्रों के अनुसार मंगलवार सुबह नोएडा एसटीएफ  ने देहरादून के सहस्रधारा रोड पर एक मकान में छापा मारा था। वहां से धर्मेंद्र किरठल को गिरफ्तार किया गया है।

हालांकि, इस ऑपरेशन की जानकारी नोएडा एसटीएफ ने स्थानीय एसटीएफ को नहीं दी थी। बताया जा रहा है कि स्थानीय एसटीएफ  उसके बारे में और जानकारी जुटा रही है। जानकारी के अनुसार उसके ऊपर उत्तराखंड में कोई मुकदमा नहीं है।उत्तराखंड एसटीएफ ने बीते आठ मार्च को किरठल के साथी सतेंद्र मुखिया को पकड़ा था। मुखिया पर 25 मुकदमे दर्ज हैं। वह किरठल का दायां हाथ माना जाता है। इसके बाद से उत्तराखंड और यूपी दोनों जगहों की एसटीएफ किरठल की तलाश कर रही थी। सतेंद्र मुखिया भी जघन्य अपराधों में किरठल के साथ रहा है।

बदमाशों के लिए सुरक्षित है देवभूमि?
इस तरह के ऑपरेशन के बाद हर बार सवाल उठने लगते हैं कि क्या वाकई देवभूमि उत्तराखंड बदमाशों की पनाहगाह है? कोई भी बड़ा छोटा बदमाश उत्तराखंड में छिप सकता है। किरठल के पकड़े जाने के बाद इस बात को फिर से बल मिल गया है। हालांकि, इस बात को लेकर उत्तराखंड पुलिस के मुखिया नाराजगी जता चुके हैं कि कोई उत्तराखंड को बदमाशों की पनाहगाह कहे। इसके लिए उन्होंने प्राथमिकता के तौर पर एसटीएफ  और जिलों की पुलिस को बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए हर वक्त मिशन मोड में रहने को कहा है। बावजूद इसके इतने बड़े बदमाश का राजधानी दून में रहना पुलिस की सख्ती और खुफिया तंत्र को चुनौती देने वाली बात है।

पिछले साल साझा हुई थी बदमाशों की सूची
उत्तर प्रदेश एसटीएफ  ने उत्तराखंड एसटीएफ  से बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए सहयोग मांगा था। इसके लिए दोनों राज्यों ने अपने-अपने यहां के बदमाशों की सूची साझा की थी। ताकि, यदि कोई भी कहीं भी पनाह लेता है तो इसकी जानकारी साझा करते हुए बदमाश की तत्काल गिरफ्तारी की जा सके।

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