पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी और निजीअस्पतालों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का नोटिस

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देहरादून। उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के बायोमेडिकल रुल्स के तहत पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी और निजी अस्पतालों पर बोर्ड अधिकारियों ने शिकंजा कसा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से ऐसे 250 से अधिक सरकारी, निजी अस्पतालों को चिह्नित किया गया है जिन्होंने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पंजीकरण नहीं कराया है। बोर्ड अधिकारियों की ओर से ऐसे सभी अस्पतालों को नोटिस जारी किए गए हैं।

उत्तराखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण अभियंता डॉ. अंकुर कंसल ने बताया कि फिलहाल देहरादून के अलावा राज्य के सभी जिलों में 4500 सरकारी, निजी अस्पतालों को चिह्नित किया गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कानूनों के तहत इन सभी अस्पतालों को बायोमेडिकल रुल्स के तहत पंजीकरण कराया जाना है। हालांकि, बोर्ड की ओर से समय-समय पर नोटिस जारी करने की वजह से ज्यादातर सरकारी और निजी अस्पतालों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में अपना पंजीकरण करा लिया है। लेकिन, इसके बावजूद 250 ऐसे अस्पताल हैं जिन्होंने अभी तक पंजीकरण नहीं कराया है।

पर्यावरण अभियंता डॉ. अंकुर कंसल ने बताया कि ऐसे सभी अस्पतालों को चिह्नित करने के साथ ही उन्हें नोटिस जारी कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पंजीकरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में पंजीकरण नहीं कराने वाले अस्पतालों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। कहा कि अस्पतालों को राहत देते हुए सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से पंजीकरण शुल्क में कमी भी कर दी गई है, लेकिन इसके बावजूद भी तमाम ऐसे तमाम अस्पताल संचालक हैं जो पंजीकरण कराने में आनाकानी कर रहे हैं।

बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण नहीं करने वाले अस्पतालों पर भी होगी कार्रवाई
पर्यावरण अभियंता डॉ. अंकुर बंसल का कहना है कि वैसे तो राज्य के ज्यादातर सरकारी और निजी अस्पताल प्रबंधन अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट को वैज्ञानिक तरीके से उपचारित कर आ रहे हैं। लेकिन, इसके बावजूद तमाम ऐसे अस्पताल भी हैं जो बायोमेडिकल वेस्ट का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से नहीं करवा रहे हैं। ऐसे सभी अस्पतालों को भी चिह्नित कर उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। फिलहाल निजी कंपनी की मदद से हरिद्वार के रुड़की व कुमाऊं क्षेत्र के गदरपुर में बायो मेडिकल ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है जहां पर दिन दो मीट्रिक टन बायोमेडिकल वेस्ट को उपचारित किया जा रहा है।

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