देहरादून। पत्रकार, साहित्यकार, फिल्मकार डा. आरके वर्मा ने आज 83 वर्ष की उम्र में देहरादून में अपने गांधी रोड स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। वे पिछले एक वर्ष से बीमार थे और घर पर ही थें डा. वर्मा के परिवार में पत्नी स्नेह वर्मा, चार पुत्र संजीव वर्मा, राजीव वर्मा, मनीष वर्मा, सचिन वर्मा व दो पुत्रियां बंदु, ऋतु हैं। उनके छोटे भाई अशोक वर्मा के अनुसार उनके पार्थिव शरीर को आज दोपहर तीन बजे दाह संस्कार हेतु श्मशाम घाट लक्खीबाग ले जाया जाएगा।
कई पुस्तकें लिखीं, जिन्हें काफी सराहा गया
डा. आरके वर्मा ने उत्तराखंड के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास, देहरादून के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास, फिल्मोग्राफी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंद फौज, मैजिक एवं मिस्ट्री, भूले सिरे गीत, भूले बिसरे चेहरे, राजनीति के चुटकुले आदि प्रमुख पुस्तकें लिखीं, जिन्हें काफी सराहा गया। दैनिक नवजीवन, फिल्म फेडरेशन आफ इंडिया के जर्नल से भी वह काफी समय तक जुड़े रहे।
उत्तराखंड के सहकारिता आंदोलन के जनक रहे
उन्हें फिल्म फेस्टिवल 2005 की कमेटी का ज्यूरी मेंबर बनाया गया। उनका 2005 व 2006 में मुख्यमंत्री उत्तराखंड द्वारा पदमश्री पुरूस्कार के लिए भी भेजा गया था। डा. आरके वर्मा ने विभूतियों को दून रत्न एवं उत्तराखंड रत्न से भी नवाजा। दून रत्न प्राप्त करने वालों में सतपाल महाराज, असलम खान, नित्यानंद स्वामी, एयर मार्शल दिलबाग सिंह, एयर वाइस मार्शल एच एल कपूर, सुंदर लाल बहुगुणा, करतार सिंह (बलिदानी भगत सिंह के भाई ), आर एस टोलिया, डा. महेश कुरियाल , पदमश्री डा. आरके जैन, चेशायर होम, देहरादून सेवा धाम आदि शामिल हैं।
डा. आरके वर्मा उत्तराखंड के सहकारिता आंदोलन के जनक रहे। डा. आरके वर्मा उत्तराखंड में सबसे पहले जर्नलिस्ट क्लब, उत्तराखंड फिल्म चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष, फिल्म फेस्टिवल कमेटी के जज रहे। वह उत्तर प्रदेश फिल्म बोर्ड के सदस्य रहे व उत्तराखंड की फिल्म पालिसी समिति के संयोजक रहे।