परियों के देश “खैट पर्वत”: पर्यटन व अनुसंधान की अपार संभावनाएं

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टिहरी। मशहूर रहस्यमयी खैट पर्वत जिसे परियो के देश नाम से भी जाना जाता है, उत्तराखंड के टिहरी जनपद के ऋषिकेश-उत्तरकाशी मार्ग मे प्रताप नगर ब्लॉक के फेगुली पट्टी के थात गांव की सीमा पर समुद्र तल से 10000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। खैट पर्वत और आसपास के क्षेत्र मे पर्यटन के साथ अनुसंधान की अपार संभावनाए है। इसी उद्देश्य से शहीद हंसा धनाई राजकीय महाविद्यालय अगरोड़ा (धारमंडल) टिहरी गढ़वाल के सहायक प्राध्यापको एवं खाद्य विभाग के संयुक्त तत्वाधान मे 5 सदस्यी दल द्वारा इस पर्वत का दौरा किया गया। इस टीम मे महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ अजय कुमार सिंह (अंग्रेजी विभाग), डॉ भरत गिरी गोसाई (वनस्पति विज्ञान), डॉ छत्र सिंह कठायत (राजनीति विज्ञान), डॉ अनुपम रावत (अर्थशास्त्र) एवं श्री नरेश चौहान (खाद्य आपूर्ति निरीक्षक, प्रतापनगर) शामिल थे।

खैट पर्वत मे स्थित दुर्गा मंदिर के शिलान्यास पट के अनुसार प्रेमदत्त नौटियाल ‘कामिड’ द्वारा 14 जनवरी 1983 को खैट पर्वत की खोज की गई तत्पश्चात 21 जनवरी 1983 को मंदिर निर्माण एवं जन जागरण समिति की स्थापना के बाद 23 मई 1984 को ग्राम थात के जनमानस द्वारा सिद्धपीठ दुर्गा मंदिर की विधिवत शिलान्यास किया गया। खैट पर्वत को रहस्यो का केंद्र माना जाता है इस मंदिर मे परियों की पूजा की जाती है। खैट पर्वत गुंबद आकर का एक रहस्यमयी एवं मनमोहक चोटी है। कहा जाता है कि खैट पर्वत की नौ श्रृंखलाओं मे नौ परियों का वास होता है, जो आपस मे बहने है। यह बहने आज भी अदृश्य शक्ति के रूप मे इन पर्वतों पर रहती है। यह पर्वत किसी जन्नत से कम नहीं है। खूबसूरत वादियों से घिरे इस पर्वत के बारे में कहा जाता है कि यहां लोगों को अचानक ही कभी भी परियों के दर्शन हो जाते है। लोगों का ऐसा मानना है कि परियां आस-पास के गांव की रक्षा भी करती है।

अमेरिका के मैसाचुसेट्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपने शोध मे भी पाया कि इस पर्वत पर रहस्यमयी शक्तियां निवास करती है। जून के महीने मे यहां मेला भी लगता है। खैट पर्वत मे एक रहस्यमई गुफा भी है, जिसके बारे मे कहा जाता है कि इसका आदि तथा अंत किसी को आज तक पता नही चला है। माना जाता है कि शुंभ-निशुंभ का वध भी इसी स्थान पर हुआ था। लोक मान्यताओं के अनुसार परियों को चमकीले रंग, शोर, तेज संगीत, प्रकृति के विरुद्ध कार्य पसंद नहीं है। अतः यहां इन बातों का सख्त मनाही है। खैट पर्वत हेतु मुख्य मार्ग थात गांव से 3 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है। इस यात्रा का अधिकांश भाग खड़ी चढ़ाई है। इस क्षेत्र मे बा॓ज, बुरांश, देवदार, उतिस, चीड़ बमोर, अखरोट आदि वृक्ष प्रजातियो के साथ-साथ अनेक प्रकार के फर्न, लाइकेन (झूला) तथा अनेक औषधीय पादप प्रजातियां भी पाए जाते है। एक रिपोर्ट के अनुसार पर्यटन की दृष्टि मे भारत विश्व का पांचवा देश है। पर्यटन न केवल राजस्व प्राप्ति का स्रोत है, बल्कि अनेक लोगो का आजीविका का साधन भी है। उत्तराखंड मे पर्यटन की अपार संभावनाएं है, परंतु दुर्भाग्यवंश इन संभावनाओं का सही से दोहन नही हो पाता है।

उत्तराखंड पर्यटन विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड राज्य मे सकल घरेलू उत्पादन मे पर्यटन का योगदान लगभग 15% है। उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया है। जिससे प्रदेश मे नए पर्यटक स्थल मे आधारभूत ढांचे विकसित हो सके। वही, 13 जिलों में टूरिस्ट डेस्टिनेशन, होम स्टे योजना, साहसिक पर्यटन, एडवेंचर, योग, आध्यात्मिक, पर्यटक स्थलों को रोपवे से जोड़ने समेत तमाम योजनाएं हैं। पर्यटन स्थलो को साफ सुथरा रखना, पर्यटन स्थलो तक पहुंचने के लिए सुगम व आरामदायक रास्तो का निर्माण करना, उचित निवास व भोजन की व्यवस्था करना, पर्यटन के प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए प्रचार प्रसार करना आदि ऐसे उपाय है जिससे पर्यटन को और अधिक विकसित किया जा सकता है। पर्यटक स्थलों को स्वच्छ रखना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। 5 सदस्यी टीम ने पाया कि खैट पर्वत पर्यटन व अनुसंधान के लिए भविष्य मे बेहतर विकल्प हो सकता है।

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