ऋषिकेश। उत्तराखंड जन एकता पार्टी के संस्थापक सदस्य कनक धनाई ने जेल से रिहा होने के बाद कहा कि उन्हें पांच दिन तक देहरादून जिला कारागार में रखे जाने का मामला वह मानवाधिकार आयोग के समक्ष उठाएंगे। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का कोई भी दस्तावेज पुलिस प्रशासन उपलब्ध नहीं करा पाया है। सब कुछ शासन के दबाव में किया गया।
दरअसल स्थानीय विधायक प्रेमचंद अग्रवाल से 14 साल 14 सवाल मुद्दे पर 14 दिन तक धरना देने वाले जन एकता पार्टी के नेता कनक धनाई बीती 28 जनवरी को अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ विधानसभा अध्यक्ष कैंप कार्यालय का घेराव करने जा रहे थे। पुलिस ने मौके से 33 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया। 31 आंदोलनकारियों को निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया था। कनक धनाई और संजीव वार्ष्णेय ने मुचलका भरने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद उन्हें देहरादून जिला कारागार भेज दिया गया था। पांच दिन जेल में रहने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। गुरुवार को त्रिवेणी घाट स्थित एक होटल में कनक धनाई ने मीडिया से मुखातिब होते हुए आरोप लगाया कि सब कुछ दबाव में किया गया है। उन्होंने सिर्फ विधायक से सवाल ही पूछे थे, जब जवाब नहीं मिला तो वह स्वयं उनके कैंप कार्यालय जा रहे थे। कनक धनाई का आरोप है कि जिला कारागार में उन्हें पांच दिन तक अवैध रूप से रखा गया। उन्हें सिर्फ पुलिस के जेल से संबंधित अधिकारियों ने एक कागज पर हस्ताक्षर कराने के बाद रिहा कर दिया। जबकि उन्होंने रिहाई के लिए कोई जमानत नहीं दी। उन्होंने कहा कि उन्हें दबाव में आकर पांच दिन तक नाजायज तरीके से जेल में रखा गया। पुलिस ने इसे भले ही कानूनी कार्रवाई बताया है किंतु इसका कोई प्रपत्र पुलिस अब तक उपलब्ध नहीं करा पाई है।वह इस मामले में मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करा रहे हैं।
उजपा नेता कनक धनाई ने कहा कि उनके 14 सवाल मूलभूत सुविधाओं से जुड़े हैं, किंतु हम आंदोलनकारियों के खिलाफ दमन की नीति अपनाई जा रही है। लोकतंत्र में प्रत्येक जनप्रतिनिधि से सवाल पूछने का अधिकार जनता का होता है। उनके मामले में लोकतंत्र का गला घोटा गया है। दमनकारी नीति से हम टूटने वाले नहीं हैं। इस दौरान आंदोलनकारी संजीव वार्ष्णेय, पार्टी के जिलाध्यक्ष सोम अरोड़ा, गुरुमुख सिंह आदि भी मौजूद रहे।