ऋषिकेश। गीता भवन स्वर्गाश्रम स्थित औषधि निर्माण शाला को सिडकुल हरिद्वार शिफ्ट किए जाने के खिलाफ अनशन कर रहे संत आचार्य निराला की एम्स ऋषिकेश में मौत हो गई। बीती शुक्रवार की रात उन्हें एम्स में भर्ती किया गया था। वह पांच दिन से अनशन पर बैठे थे।
गीता भवन स्वर्गाश्रम स्थित औषधि निर्माण शाला को सिडकुल हरिद्वार शिफ्ट किए जाने के खिलाफ कर्मचारी दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं। पिछले पांच दिन से आमरण अनशन पर बैठे संत आचार्य निराला (59 वर्ष) की हालत बिगड़ने पर उन्हें शुक्रवार की रात पुलिस और प्रशासन ने राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश में भर्ती कराया था। जहां से उन्हें गंभीर हालत में एम्स रेफर कर दिया गया। एम्स में उन्हें लाइफ सपोर्ट में रखा गया था।
नगर पंचायत जौंक के अध्यक्ष माधव अग्रवाल ने बताया कि संत आचार्य निराला की उपचार के दौरान मंगलवार की सुबह मौत हो गई है। एम्स प्रशासन की सूचना पर आंदोलनकारी कर्मचारियों में शोक की लहर देखी गई। इनमें संत की मौत को लेकर गुस्सा भी है। नगर पंचायत अध्यक्ष समेत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संरक्षक आशुतोष शर्मा ने संत की मौत पर गीता भवन ट्रस्ट प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है
सीएम को पत्र भेजने के बाद बैठे थे अनशन पर
नगर पंचायत अध्यक्ष माधव अग्रवाल ने बताया कि अनशन पर बैठने से पूर्व पी निराला आचार्य लोक सेवी संत ने दो मार्च को मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी पौड़ी और मानवाधिकार आयोग को पंजीकृत पत्र भेजा था। जिसमें उन्होंने लिखा है कि 77 दिन से आंदोलन कर रहे कर्मचारियों के समर्थन में यदि 14 मार्च तक कार्यवाही नहीं होती है तो वह 15 मार्च को पूर्वान्ह 11:00 बजे आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे। मेरी जान माल की क्षति के लिए गीता भवन ट्रस्ट प्रबंधन जिम्मेदार होगा।
धनोरा अमरोहा के रहने वाले हैं आचार्य निराला
गीता भवन ट्रस्ट कर्मचारियों को न्याय देने की मांग को लेकर अनशन करने और अपने प्राण गंवाने वाले पी निराला चार्य का जन्म 26 जुलाई 1963 को उनके आधार कार्ड में दर्ज है। उनका वास्तविक नाम पुखराज निराला पुत्र रामचरण निवासी मोहल्ला चामुंडा मंडी धनौरा अमरोहा उत्तर प्रदेश है।