देहरादून । फॉरेस्ट गार्ड (वन आरक्षी) के 1218 पदों के लिए आवेदन करने वाले डेढ़ लाख युवाओं के सपने नियमावलियों के पेच में फंसे हैं। वन और कार्मिक विभाग की नियमावली में भिन्नता के कारण भर्ती प्रक्रिया लटकी हुई है।किस नियमावली के आधार पर फॉरेस्ट गार्ड पदों की भर्ती की जाए। इसके लिए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने शासन को पत्र भेज कर अनुमति मांगी थी, लेकिन अभी तक शासन से आयोग को कोई जवाब नहीं मिला है। ऐसे में दो साल से फॉरेस्ट गार्डों की भर्ती नहीं हो पाई है।
वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड के 1218 रिक्त पदों की भर्ती शुरू से ही विवादों में रही है। यही वजह है कि दो साल बीत जाने के बाद भी अभी तक भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। इन पदों के लिए प्रदेश भर से डेढ़ लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने शारीरिक परीक्षा कराने के लिए आवेदन करने वाले सभी अभ्यर्थियों का रिकॉर्ड वन विभाग को भेजा था। इसके बाद भी वन विभाग ने शारीरिक परीक्षा नहीं कराई।
फॉरेस्ट गार्ड भर्ती में ये विवाद
वन विभाग ने भर्ती नियमावली में लिखित परीक्षा के बाद शारीरिक टेस्ट करने का संशोधन तो कर लिया, लेकिन कार्मिक विभाग की 2008 की नियमावली में शारीरिक टेस्ट लिखित परीक्षा से पहले करने का प्रावधान है। चयन आयोग सीधी भर्ती में कार्मिक विभाग की नियमावली का अनुपालन करता है।
प्रमुख सचिव वन आनंद बर्द्धन ने भी इस पर कहा था कि कार्मिक से वन विभाग की नियमावली पर भर्ती करने की सहमति दी जा रही है। लेकिन चयन आयोग की ओर से अनुमति के लिए भेजे गए पत्र का शासन से कोई जवाब नहीं मिला है। आयोग के सूत्रों का कहना है कि यदि शासन से वन विभाग की नियमावली के अनुसार भर्ती करने की अनुमति मिलती है तो आयोग जल्द ही लिखित परीक्षा करने को तैयार है।
वन विभाग के प्रस्ताव पर चयन आयोग ने 3 अगस्त 2017 को वन रक्षक पदों की विज्ञप्ति जारी की थी। इसमें 31 हजार अभ्यर्थी आवेदन कर चुके हैं। लेकिन सरकार ने शैक्षिक अर्हता में संशोधन करने के लिए 30 अगस्त 2017 को भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। विभाग ने संशोधित अधियाचन प्राप्त होने के बाद आयोग ने दोबारा से भर्ती प्रक्रिया शुरू की है। जिसमें डेढ़ लाख युवाओं ने आवेदन किया। इसके बाद से शारीरिक परीक्षा प्रक्रिया लटकी है।