देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र की अध्यक्षा में आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में हिस्सा लिया। इस दौरान सीएम रावत ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए पीएम मोदी ने सही समय पर साहसिक फैसला लिया। इससे देशवासी आज खुद को सुरक्षित महसूस कर रहा है। सीएम ने कोविड-19 को लेकर समय-समय पर प्रधानमंत्री के साथ ही अन्य केंद्रीय मंत्रियों, कैबिनेट सचिव और अन्य विभागीय सचिवों के जरिए दिए गए मार्ग दर्शन के लिए भी आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि लॉकडाउन के दौरान राज्य का कोई भी गरीब व्यक्ति भूखा नहीं सोया है। राज्य सरकार के साथ ही सामाजिक स्तर पर इसकी व्यापक व्यवस्था की गई है। कोविड-19 की रोकथाम के लिये राज्य में लगभग 500 डॉक्टरों की तैनाती की गई और इतने ही पैरामेडिकल स्टाफ की व्यवस्था गई। राज्य के 13 जिलों में से 11 जिलों में आइसीयू, वेंटिलेटर और बाईपैप की व्यवस्था के साथ ही पैरामेडिकल स्टाफ के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है, जिससे किसी भी आपात परिस्थिति का सामना किया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कोरोना के मामले 45 दिनों में डबल हो रहे हैं और रिकवरी रेट 67.6 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि राज्य में 68 पॉजिटिव मामले हैं, जिनमें से 46 व्यक्ति स्वस्थ होकर घर लौट गये हैं।
45 हजार प्रवासियों को वापस लाया गया उत्तराखंड
सीएम ने ये भी बताया कि अब तक राज्य में 45 हजार प्रवासियों को वापस लाया गया है, जिसका खर्च राज्य सरकार ने वहन किया है। पुणे और सूरत से भी ट्रेन द्वारा लोगों को वापस लाया जा रहा है। राज्य सरकार ने लगभग दो लाख श्रमिकों के खाते में 2,000 रुपये की धनराशि जमा कराई है। साथ ही लगभग 3500 उद्योगों में 45 प्रतिशत क्षमता के साथ कार्य शुरू किए हैं।
श्रमिक कानूनों में हुआ सुधार
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में श्रमिक कानूनों में सुधार किया गया है। कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग की दिशा में पहल की गई है। उद्योगों की तरह ही किसानों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम जैसा पोर्टल तैयार किए जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि किसान मजबूत होगा, तो आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ेगी। सीएम ने कहा खनन के चुगान में बड़ी संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता रहती है। इसके लिये भी एनजीटी से अनुमति प्रदान करने में प्राथमिकता दिए जाने की अपेक्षा मुख्यमंत्री ने की।
सीएम ने कहा उत्तराखंड में आवासीय विद्यालयों को खोलने की अनुमति प्रदान करने के साथ ही वित्तीय सीमितता और टैक्स कलेक्शन में हो रही कमी के कारण ऋण सीमा को तीन प्रतिशत से चार प्रतिशत किया जाए। कंटेनमेंट जोन के बाहर आर्थिक गतिविधियों को अनुमति दी जाए। राज्य के अंदर ग्रीन जोन के बीच में सीमित पर्यटन गतिविधियां अनुमन्य की जाए। राज्य के द्वारा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना पीएमईजीपी के स्वरूप पर सुरू कर दी गई है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस महामारी से होटल, रेस्टोरेंट और पर्यटन और परिवहन व्यवसाय सर्वाधिक प्रभावित हुआ है। राज्य में करीब ढ़ाई लाख एमएसएमई उद्योग है, जिनसे कई लाखों लोगों को रोजगार मिलता है इन्हें राहत देने के लिए विचार किया जाना चाहिए। वहीं, मनरेगा के अंतर्गत मानक गतिविधियों में होम स्टे और अन्य गतिविधियां भी अनुमन्य की जाए। मनरेगा के अंतर्गत अल्पावधि कृषि गतिविधियों को भी अनुमन्य किया जाना चाहिए। व्यक्तिगत लाभ की श्रेणी में पुरुष जॉब कार्ड धारक को फार्म उत्पादन प्रसंस्करण यूनिट का निर्माण अनुमन्य किया जाए (वर्तमान में यह एनआरएलएम स्वयं सहायता समूह की महिलाओं हेतु ही अनुमन्य है।) मनरेगा के पैटर्न पर शहरी क्षेत्रों में मजदूरों के लिए एक नई योजना लाई जानी चाहिए।
राज्य में काफी संख्या में प्रवासी आ रहे हैं, जिनके पास कोई राशन कार्ड नहीं है। केंद्र सरकार ने एक अप्रैल के बाद राशन कार्ड बनाने पर मनाही की गई है। यह लोग बहुत गरीब हैं और राज्य में इनकी संख्या करीब तीन लाख के आसपास है। इनके जीवनयापन का भी कोई तत्काल साधन नही है। इसलिए इनके राशन कार्ड बनाने अत्यंत आवश्यक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एसडीआरएफ की धनराशि से कोविड-19 के प्रबन्धन और अवस्थापना सृजन से सम्बन्धित समस्त खर्चे को अनुमन्य किया जाना चाहिए।
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