देहरादून। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज राजधानी देहरादून में आयोजित विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 79वें दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। वह आज सुबह पांच बजे ट्रेन से देहरादून पहुंचे।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद अजय भट्ट, महानगर अध्यक्ष विनय गोयल, मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक हरबंस कपूर सहित कई भाजपा नेताओं ने उनका हर्रावाला रेलवे स्टेशन पर स्वागत किया। सुबह 10 बजकर 15 मिनट पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने देहरादून स्थित एक होटल में पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का उद्घाटन किया।
कार्यक्रम के उद्धघाटन के साथ उत्तराखंड विस अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पहाड़ी टोपी पहनाकर स्वागत किया। इससे पहले उन्होंने परेड का निरीक्षण किया। गार्ड ऑफ ऑनर देकर स्पीकर का स्वागत किया गया। विधायी पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन 1921 से प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है।
कार्यक्रम में 21 राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव भी सम्मेलन में मौजूद रहे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सम्मेलन में आने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला का स्वागत कर आभार जताया। उन्होंने विस अध्यक्ष सचिवों का आभार जताया। कहा कि पीठासीन सम्मेलन के आयोजन में उत्तराखंड का नाम भी शामिल हो गया है। उन्होंने लोकसभा सत्र को बेहतर तरह से चलाने के लिए ओम बिरला की सराहना की।
उत्तराखंड विस अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा कि सदन में तनाव के बीच भी ओम बिरला बेहतर संयम के साथ सदन की कार्यवाही चलाते हैं। कहा कि उत्तराखंड विस पेपर लेस होने जा रही है, जिससे कागज की बचत होगी। कहा कि उत्तराखंड कैबिनेट की अगली बैठक भी ई कैबिनेट होने जा रही है। सभी राज्यों के प्रतिनिधियों से अपील करता हूं कि अपने राज्यों में भी ई-कैबिनेट और विस को पेपर लेस करें।
1921 से चला आ रहा है पीठसीन सम्मेलन
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने सम्बोधन में कहा कि पीठसीन सम्मेलन आजादी से पूर्व 1921 से चला आ रहा है। आज 79वां सम्मेलन उत्तराखंड की धरती देव भूमि पर हो रहा है। यह ऐतिहासिक सम्मेलन आस्था की भूमि पर हो रहा है। उत्तराखंड में सम्मेलन के आयोजन के लिए विस अध्यक्ष और प्रदेश सरकार का आभार व्यक्त करता हूं। इस दौरान उत्तराखंड राज्य के गठन करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ने अटल बिहारी वाजपेयी को भी याद किया।
लोकतंत्र में देशवासियों का अटूट विश्वास है। पिछले लोकसभा चुनाव में 67 प्रतिशत मतदान इस विश्वास का उदाहरण है। लोकतंत्र की मर्यादाओं को संसदीय परम्परा के तहत उठाने का काम हम कर रहे हैं। लोगों का जो विश्वास घटता जा रहा था उसे हमने बढ़ाने का काम किया। लोकतंत्र का मंदिर जनता के विश्वास का मंदिर है भरोसे का मंदिर है। 125 प्रतिशत कामकाज पहले सत्र में हुए और दूसरे सत्र में 115 प्रतिशत काम हुआ। 16वीं लोकसभा के जो सदस्य 17वीं लोकसभा में चुनकर आये हैं, वह 16वीं लोकसभा में उतने मुद्दे नहीं उठा पाए जो मुद्दे उन्होंने 17वीं लोकसभा के दो सत्रों के अंदर उठाए हैं।
हमारे लोकतंत्र के मंदिर मजबूत हों पीठासीन सम्मेलन में इस पर चर्चा होगी। 2021 में पीठासीन सम्मेलन को 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे। 2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे हो जाएंगे। 2021 में 100 वर्ष पूरे होने पर विशेष सत्र बुलाया जाएगा। हम 2021 तक जिन लक्ष्यों को पूरा करने को लेकर चले हैं वह लक्ष्य पूरे कर लिए जाएंगे।
अध्यक्ष की भूमिका पर होगी चर्चा
उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक समेत प्रदेश सरकार के मंत्री, शहर के विधायक व पूर्व विधायक भी उपस्थित रहे। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने लोस अध्यक्ष व पीठासीन अधिकारियों का स्वागत किया और उसके बाद लोस अध्यक्ष का उद्बोधन होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी सम्मेलन में आए अतिथियों को संबोधित करेंगे।
आज सम्मेलन के विधिवत उद्घाटन के बाद संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत दलबदल करने वाले सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने में अध्यक्ष की भूमिका विषय पर मंथन होगा। सम्मेलन में लोस व राज्यसभा तथा राज्यों के विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारी अपने अनुभवों को साझा करेंगे।
सम्मेलन के दौरान दो प्रमुख विषयों पर चर्चा होगी। पहली चर्चा संविधान की 10वीं अनुसूची में अध्यक्ष की भूमिका विषय पर होगी। संविधान प्रदत्त प्रावधानों के तहत कोई सदस्य अयोग्य है कि नहीं, ऐसे प्रकरणों में प्रत्येक सभापति या अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है। चर्चा का एक और महत्वपूर्ण विषय है शून्यकाल सहित सभा के अन्य साधनों के माध्यम से संसदीय लोकतंत्र का सुदृढ़ीकरण तथा क्षमता निर्माण है।
तीन समितियां देंगी सिफारिशें
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अगस्त 2019 को पीठासीन अधिकारियों की बैठक में तीन अहम समितियां गठित की थीं। ये तीनों समितियां सम्मेलन में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेंगी। लोकसभा की महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव ने बताया कि विधान मंडलों के कार्य में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग का मूल्यांकन करने को सभापति असम विधानसभा अध्यक्ष हितेन्द्र नाथ गोस्वामी के अधीन समिति बनाई।
सभा की सुचारु कार्यवाही संबंधी मामले पर विचार करने संबंधी समिति के सभापति उत्तरप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित हैं। विधान मंडल सचिवालयों की वित्तीय स्वायत्तता के मामले के लिए सभापति राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के अधीन समिति बनाई है।