देहरादून। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के 19 दागी इंजीनियरों का डिमोशन तय हो गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस के तहत अनियमितताओं के विभिन्न मामलों में दोषी पाए गए इंजीनियरों को एक पद नीचे पदावनत (डिमोट) करने को संस्तुति दे दी है।
इसके अलावा 22 और दागी इंजीनियर हैं, जिनके खिलाफ जांच पूरी नहीं होने से कार्रवाई फिलहाल टाल दी है। जांच पूरी होते ही उन्हें भी डिमोट कर दिया जाएगा। लोक निर्माण विभाग मंगलवार को डिमोशन के आदेश जारी कर देगा।
लोक निर्माण विभाग में विभिन्न निर्माण कार्यों में अनियमितताएं बरतने वाले 41 इंजीनियरों पर कार्रवाई का प्रस्ताव तैयार किया गया था। प्रस्ताव में सभी इंजीनियरों को एक पद नीचे किया जाना था। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने विभागीय जांच में दोष साबित हो चुके 19 इंजीनियरों को डिमोट करने की संस्तुति दी है।
जीरो टालरेंस पर बड़ी कार्रवाई
22 अन्य इंजीनियरों के खिलाफ कई संगीन मामले में जांच पूरी नहीं होने के कारण डिमोशन की प्रक्रिया टाल दी है। विभाग को जल्द जांच रिपोर्ट पूरी कर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है।
प्रदेश सरकार ने सभी विभागों को भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस के तहत दागी और नाकारा अफसरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। इसी के तहत कई विभागों में ऐसे कर्मियों की
सूची बनाई गई, लेकिन कार्रवाई के मामले में लोक निर्माण विभाग सबसे आगे रहा है। विभाग दागी इंजीनियरों पर लगातार कार्रवाई कर रहा है।
दिसंबर में डिमोट हुए थे तीन इंजीनियर
शासन ने दिसंबर माह में एक्सईएन समेत तीन इंजीनियरों को थानो-रायपुर मार्ग पर पुल निर्माण में लापरवाही और गड़बड़ी बरतने के दोषी पाए जाने पर डिमोट किया था। करीब 8.84 करोड़ रुपये लागत के इस पुल निर्माण में अनियमितता बरतने पर तीनों इंजीनियर निलंबित किए गए थे। पदावनत वाले पद पर उन्हें ज्येष्ठता सूची में सबसे ऊपर रखने के आदेश दिए गए।