पुलिस ग्रेड पे मामले ने पकड़ा तूल,उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार पुलिसकर्मियों के परिजनों ने किया प्रदर्शन।

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अमूमन आपने प्रदर्शकारियों को पुलिस को रोकते देखा होगा या किसी प्रदर्शन के दौरान किसी भी तरह की शान्ति भंग न हो इसलिए वहां पर पुलिस का काफी सख्त पहरा रहता है आज ऐसा ही दृश्य देहरादून में देखने को मिला पर यहां पुलिस खुद अपने परिजनों के प्रदर्शन के दौरान अपनी ड्यूटी पर थी जी हां पिछले काफी समय  से चल रहे पुलिस  ग्रेड पे मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है।अब तमाम दलीलों और मान मनोबल के बावजूद उत्तराखंड पुलिस के जवानों के परिजन ग्रेड पे के मसले पर आज गांधी पार्क पर प्रदर्शन कर रहे है,पूर्व की त्रिवेंद्र से लेकर तीरथ सरकार में लगातार ये मामला उछला पर अभी तक इस पर निर्णय न होने से पुलिस के परिजनों का धौर्य अब जवाब देने लग गया है और मजूबर होकर उनको सड़को पर उतरना पड़ रहा है।

उत्तराखंड पुलिस के जवानों के ग्रेड पे मामले पर तमाम दलीलों  और सरकार से लेकर डीजीपी की  अपीलों का कोई असर नहीं दिखा राजधानी में रविवार को तेज बारिश के बीच पुलिस परिजनों ने गांधी पार्क पहुंचकर पहले सांकेतिक विरोध प्रदर्शन करने इक्कठे हुए और फिर जमकर नारेबाजी भी की, हाथों में तख्तियां लेकर महिलाएं गांधी पार्क पहुंचे थे इस बीच सीओ सिटी और प्रदर्शन में शामिल होने आए एक रिटायर्ड सब इंस्पेक्टर के बीच एक बैनर लगाने को लेकर नोकझोंक भी हुई आपको बताते चलें कि पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार खुद इस मामले को बेहद संजीदगी से शासन स्तर पर लगातार उठा रहे हैं ।और मामले का हल निकाले जाने के लिए पैरवी कर रहे हैं।

ग्रेड-पे को लेकर सरकार ने कैबिनेट की उपसमिति गठित कर रिपोर्ट मांगी है। इसके बावजूद पुलिस के परिजन संतुष्ट नहीं हैं। वे इस मामले में जल्द कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उत्तराखंड में पुलिस जवानों के ग्रेड-पे के मसले पर परिजन सड़क पर उतर आए हैं। देहरादून में सिटी मजिस्ट्रेट से अनुमति नहीं मिलने के बावजूद रविवार को बड़ी संख्या परिजन देहरादून में गांधी पार्क पर पहुंच गए। कांग्रेस सेवादल समेत कई संगठनों से जुड़े लोगों के साथ पुलिसकर्मियों के परिजन प्रदर्शन में शामिल रहे। इन्हें पुलिसकर्मियों के 4600 गेड-पे की मांग को लेकर आवाज बुलंद की। गांधी पार्क के सामने पुलिस के परिजनों ने जाम लगाकर प्रदर्शन किया।

पुलिस के परिजनों की मांग है कि जब पहले से 46 सौ ग्रेड पे मिलता था तो उसको बन्द क्यो किया गया उसको वेसे ही यथावत चलने दिया जाय,कोरोना काल मे जिस तरह से पुलिस ने अपनी जान की परवाह किये बिना लोगों की जान बचाई उसका उनको इनाम मिलना चाहिये, जहां पूरी दुनिया कोरोना से डर रही थी तो क्या पुलिस के लिए कोरोना नही था,परिजनों का कहना है कि अभी तो ये सिर्फ सांकेतिक प्रदर्शन था अगर जल्द उनकी मांग नही मानी गयी तो आगे उग्र प्रदर्शन किया जायेगा।
सरकार में मंत्री सुबोध उनियाल ने खुद कुछ दिन पहले बयान जारी कर जल्द से जल्द हल निकाले जाने का भरोसा दिया था ।सुबोध उनियाल ने कहा कि सरकार उनकी इस मांग पर काफी गम्भीर है और जल्द सरकार इस पर फैसला लेगी,चूंकि ये मामला फाइनेंस से जुड़ा हुआ है इसलिए इसमे पूरे आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर फैसला लिया जाएगा,उन्होंने पुलिस और उनके परिजनों को धौर्य रखने की अपील की।
वही कल ही एसएसपी देहरादून ने भी अपील करते हुए सभी से संयम बरतने की अपील की थी ।लेकिन इन तमाम बातों को दरकिनार करते हुए पुलिस कर्मियों के परिजन आज गांधी पार्क में थे और यह उत्तराखंड पुलिस के इतिहास में पहली बार हुआ है। जब अनुशासित पुलिस फोर्स के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर अपने परिजनों को सड़कों पर उतारा है।
एसएसपी देहरादून योगेंद्र रावत ने पुलिस और उनके परिजनों से अपील करते हुए कहा कि किसी के बहकावे में आकर ऐसा कोई कार्य न करें जिससे पुलिस की छवि खराब हो,और पुलिस के लिए नकारात्मक माहौल पैदा हो,हम लीगों के आचरण पर सभी की नजर रहती है इसलिए ऐसा कोई कार्य न करें जिससे पुलिस की छवि पर कोई असर पड़े।एसएसपी ने ये भी साफ किया कि अगर कोई पुलिस कर्मी इस तरह की गतिविधियों में शामिल पाया गया तो विवश होकर उनके ऊपर कार्यवाही करनी पड़ेगी।

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