उत्तराखंड के पूर्व आयुर्वेद निदेशक डॉ.अरुण कुमार त्रिपाठी के खिलाफ आखिरकार सरकार ने जांच बैठा दी है। उन पर लगे अनियमितताओं के आरोपों की जांच प्रभारी सचिव मुख्यमंत्री एसएन पांडेय को सौंपी गई है। डॉ.त्रिपाठी वर्तमान में गुरुकुल कांगड़ी आयुर्वेद कॉलेज में प्राचार्य के पद तैनात हैं।डॉ.अरुण कुमार त्रिपाठी वर्ष 2014 से 2019 तक आयुर्वेद विभाग में कार्यवाहक निदेशक के पद पर तैनात थे। निदेशक पद पर रहते हुए उन पर आरोप हैं कि आयुर्वेद दवाईयों के सैंपल फेल होने के बाद भी कंपनियों को भुगतान किया गया।सरकारी वाहन का दुरुपयोग और पेट्रोल बिल में अनियमितता, शासन की ओर से संबद्धता समाप्त करने के बाद भी बिना अनुमति के चिकित्साधिकारियों और फार्मासिस्टों को उनकी इच्छा के अनुसार स्थानों पर तैनात किया गया। आरोप यह भी लगा कि फार्मासिस्टों की नियुक्ति में अनियमितता की गई। प्रभारी सचिव आयुष चंद्रेश कुमार यादव ने पूर्व निदेशक के खिलाफ मिलीं शिकायतों की प्रारंभिक जांच करने के आदेश दिए हैं। बता दें कि विभागीय सेवा नियमावली के तहत डॉ.त्रिपाठी को कार्यवाहक निदेशक आयुर्वेद के पद पर तैनात किया गया। वर्ष 2019 में सरकार ने उन्हें इस पद से हटा कर मूल तैनाती गुरुकुल कांगड़ी आयुर्वेद कॉलेज में प्राचार्य के पद पर वापस भेजा था। वहीं, राजकीय आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ की ओर से लगातार पूर्व निदेशक पर लगे आरोपों की जांच की मांग की जा रही थी। जबकि डॉ.त्रिपाठी को दोबारा से निदेशक बनाने के लिए शासन स्तर पर फाइल चल रही थी।
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