देहरादून। कोरोना की निगेटिव आरटीपीसीआर रिपोर्ट न दिखा पाने के चलते धोखाधड़ी के आरोपित पूर्व दर्जाधारी मनीष वर्मा शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सरेंडर नहीं कर पाए। कोर्ट ने अब उन्हें शनिवार को रिपोर्ट के साथ सरेंडर करने को कहा है।
14 मार्च 2012 को सुभारती ट्रस्ट न्यासी डा. अतुल कृष्ण ने थाना कैंट में एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि मनीष वर्मा, उसकी पत्नी नीतू वर्मा व भाई संजीव वर्मा ने अपनी 100 बीघा जमीन के नकली दस्तावेज दिखाकर धनराशि हड़प ली। जब जमीन संबंधी दस्तावेजों की जांच करवाई गई तो दस्तावेज फर्जी पाए गए। इसके बाद तीनों आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर आरोपपत्र एसीजेएम तृतीय की अदालत में पेश किया गया।
न्यायालय में पेश न होने के कारण बीते दिनों उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड सरकार को आदेश दिए कि पूर्व दर्जाधारी मनीष वर्मा उसकी पत्नी व भाई के खिलाफ एक सप्ताह में एसीजेएम तृतीय देहरादून के न्यायालय में तीनों की जमानत खारिज करने के लिए आवेदन करें। बीते 16 अगस्त को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने तीनों की जमानत निरस्त करते हुए गैर जमानती वारंट जारी कर दिए। 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जिला एवं सत्र न्यायालय देहरादून के आदेशों पर रोक लगाते हुए तीनों को दो दिन के अंदर ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के आदेश दिए थे।