जम्मू कश्मीर के पुंछ में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए नायक हरेंद्र का आज मंगलवार को अंतिम संस्कार किया गया। सोमवार को उनके गांव पीपलसारी का रास्ता बाधित होने के कारण उनका पार्थिव शरीर गांव नहीं ले जाया जा सका था। पार्थिव शरीर को रिखणीखाल के सरकारी अस्पताल में रखा गया था। क्षेत्रवासियों और जनप्रतिनिधियों ने अस्पताल परिसर में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
रविवार को शहीद का पार्थिव शरीर जौलीग्रांट हवाई अड्डे से सेना के विशेष वाहन से लैंसडौन लाया गया था। सोमवार सुबह शहीद का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए उसके पैतृक गांव पीपलसारी ले जाया जाना था, लेकिन भारी बारिश के कारण रास्ता बंद होने के कारण पार्थिव शरीर को रिखणीखाल स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में रखा गया था। सेना और प्रशासन के अधिकारी बारिश थमने के इंतजार में घंटों तक रिखणीखाल में डेरा जमाए रहे।
उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, कवींद्र इष्टवाल, राजपाल बिष्ट, राजेंद्र भंडारी, रघुवीर बिष्ट, मनीष सुंद्रियाल, पोखड़ा के पूर्व ब्लाक प्रमुख सुरेंद्र सिंह पटवाल, पूर्व प्रमुख पिंकी नेगी, महिला कांग्रेस की प्रदेश महामंत्री रंजना रावत, जिला पंचायत सदस्य शालिनी बलोदी, ब्लाक प्रमुख मनोहर देवरानी, ग्राम प्रधान अनुज (बूंगा तल्ला), रमेश चंद्र (हितोली), मीनाक्षी देवी (गुर्ठेता), मोहित सुंद्रियाल (बयेला तल्ला), रघुवीर सिंह पटवाल (तिमलसैंण), दीनबंधु बलोदी आदि ने शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
बेचैनी और परेशानी में बीता हर पल परिजन नहीं देख पाए अपने लाडले का चेहरा
शहीद के परिजन अपने लाडले की एक झलक पाने के लिए बेचैन थे। वे रविवार शाम तक शहीद के पार्थिव शरीर का इंतजार करते रहे। परिजनों को शनिवार शाम बेटे की शहादत की सूचना मिली थी। इसके बाद से शहीद के पिता छवाण सिंह रावत, मां सरोजनी देवी, पत्नी लता देवी का एक-एक पल बेचैनी और परेशानी में बीत रहा है। शहीद की पुत्री आकांशी (11) पिता के बारे में दादा से पूछती रही। दादा की खामोशी उसे विचलित करती रही। पीपलसारी गांव में शहीद के परिजनों से मिलने वालों का तांता लगा रहा।
सेना की ओर से शहीद का पार्थिव शरीर सोमवार को उनके गांव पीपलसारी ले जाया जाना था। लेकिन भारी बारिश हर जगह परेशानी का सबब बनी रही। बारिश के कारण ढाबखाल के निकट मलबा आने से मार्ग बाधित हुआ। हालांकि लोनिवि की जेसीबी यहां तैनात रही, लेकिन बारिश लगातार होने से मार्ग पर मलबा आता रहा। कंडिया से शहीद के ग्राम पीपलसारी तक के कच्चे मार्ग पर लगातार मलबा आता रहा, जिससे यह मार्ग वाहनों के चलने लायक नहीं रहा।