ज्यादा मुनाफे का लालच देकर आम जनता का पैसा डकारने वाली चिट फंड कंपनियों समेत तमाम दूसरी वित्तीय कंपनियों पर अब लगाम कस सकेगी। इसके लिए कैबिनेट ने कैबिनेट ने उत्तराखंड विनियमित विच्छेद स्कीम पांबदी अधिनियम को मंजूरी दे दी है। इसके तहत आम जनता को शिकायत करने का अधिकार मिल गया है। इसके साथ ही कंपनियों की संपत्ति भी सीज हो सकेगी। अभी तक चिट फंड कंपनियों पर लगाम कसने को लेकर न तो शिकायत करने का वैधानिक अधिकार था और न ही कोई वैधानिक कार्रवाई किए जाने की व्यवस्था।
इस पर केंद्र सरकार ने 2019 में अविनियमित विच्छेद स्कीम पाबंदी अधिनियम बनाया। राज्यों को इसे अपने यहां इसे लागू करने का अधिकार दिया। इस अधिनियम पर शुक्रवार को कैबिनेट में चर्चा हुई। अधिकारियों की ओर से बताया गया कि पूरे देश के राज्यों की व्यवस्था का अध्ययन करने के बाद कर्नाटक की व्यवस्था के अनुसार नियम बनाए गए। इन नियमों को कैबिनेट ने शुक्रवार को मंजूरी दी। सरकारी प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि अब नई व्यवस्था में आम जनता का पैसा मारने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो कसेगी। क्योंकि आरबीआई, सेबी के नियमों के तहत सात संस्थाओं को ही पैसा डिपोजिट करने का अधिकार है।
इसके अलावा चिटफंड कंपनियों समेत तमाम दूसरी तरह की कंपनियां जो मुनाफे का लालच देकर लोगों से धन एकत्र करती हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई का कानूनी अधिकार इस नये अधिनियम से मिल गया है। अब लोगों को वित्तीय धोखाधड़ी पर शिकायत करने का वैधानिक अधिकार मिल गया है। धोखाधड़ी करने वाली संस्थाओं की संपत्तियों को सीज किया जा सकता है।
किट्टी में पैसा मारने वाले भी नपेंगे
पिछले कुछ समय में राज्य में किट्टी के नाम पर पैसे की धोखाधड़ी के तमाम केस बढ़े हैं। इस नये अधिनियम से किट्टी के तहत पैसा लेकर भागने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो सकेगी। ऐसा करने वालों की भी संपत्ति सीज होगी।