अब अगर आपके वाहन ने मानकों से ज्यादा प्रदूषण फैलाया तो उस पर भारी जुर्माने के साथ ही उसे जब्त भी किया जा सकता है। परिवहन मंत्रालय के यह ताजा नियम उत्तराखंड में भी लागू हो गए हैं। इससे प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र की पूरी प्रक्रिया काफी सख्ती से लागू होने जा रही है। अब प्रदेश के सभी वाहनों के प्रदूषण सर्टिफिकेट की पूरी जानकारी मंत्रालय के नेशनल रजिस्टर से लिंक होगी। अभी तक प्रदूषण की जांच मैन्युअल करने के बाद ही संबंधित वाहन स्वामी के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान था लेकिन अब नए नियमों के तहत वाहन के प्रदूषण का शक होने पर संबंधित अधिकारी सीधे नोटिस भेज सकेगा। यह नोटिस फोन एसएमएस या ई-मेल से भी जा सकता है।
नोटिस के बाद संबंधित वाहन स्वामी को पहले प्रदूषण ठीक कराना होगा, इसके बाद नया प्रमाण पत्र जारी होगा। खास बात यह भी है कि अब देशभर में यह प्रमाण पत्र एक जैसे होंगे, जिन पर बार कोड लगा होगा। इसे स्कैन करते ही वाहन और इसके स्वामी की पूरी जानकारी खुलकर सामने आ जाएगी।
प्रमाण पत्र की अवधि जैसे ही खत्म होगी, वैसे ही संबंधित वाहन स्वामी के मोबाइल पर एसएमएस भी आ जाएगा। यह नियमावली देशभर में लागू हो गई है। उत्तराखंड का परिवहन विभाग भी इसे लागू कर चुका है, जिसके अमल की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
जब तक प्रमाण पत्र नहीं, तब तक नहीं चला सकेंगे वाहन
प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र जारी होने तक संबंधित वाहन के पंजीयन या परमिट रद्द हो सकते हैं। वाहन को जब्त भी किया जा सकता है। जब तक वाहन का नया प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं बनेगा, तब तक उससे सड़क पर यात्रा नहीं की जा सकेगी।
वाहन स्वामी का मोबाइल नंबर अनिवार्य
प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र पर वाहन मालिक का मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से दिया जाएगा। ओटीपी भेजकर नंबर का सत्यापन किया जाएगा। इसके अलावा पीयूसी के लिए वाहन मालिक का नाम, पता, इंजन और चेसिस नंबर भी अनिवार्य रूप से देने होंगे, जिन्हें पूरी तरह से गोपनीय रखा जाएगा।