राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत सरकार की ओर से भेजे गए एयर एंबुलेंस की मांग के प्रस्ताव को केंद्र ने नकार दिया है। प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों से आपात स्थिति में मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए अब डंडियों का सहारा है। ऐसे में कई बार मरीजों की आधे रास्ते में ही सांसें टूट जाती है।
प्रदेश में एयर एंबुलेंस के लिए एनएचएम के तहत प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था। केंद्र ने इस पत्र भेज कर अवगत कराया कि इस साल एनएचएम में एयर एंबुलेंस सेवा को अनुमति नहीं दी गई। सरकार की गंभीर मरीजों और आपदा के लिए एयर एंबुलेंस सेवा शुरू करने की योजना थी।
-अमित सिंह नेगी, सचिव स्वास्थ्य
राज्य में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं, लोगों का टीकाकरण नहीं हो पा रहा है, टीकाकरण निशुल्क होना चाहिए था। डॉक्टरों से लेकर नर्सों तक की कमी बनी हुई है, राज्य सरकार इन अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी है और केंद्र ने भी राज्य सरकार की मदद नहीं की है। डबल इंजन की सरकार फेल है। पहाड़ की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए एयर एंबुलेंस की सुविधा मिलनी चाहिए थी।
– डॉ. इंदिरा हृदयेश, नेता प्रतिपक्ष
उत्तराखंड पर्वतीय राज्य होने के साथ ही आपदा से ग्रसित है। पहाड़ों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं है। ऐसे में प्रदेश को एयर एंबुलेंस की नितांत जरूरत है। प्रदेश सरकार को अपने संसाधनों से एयर एंबुलेंस की व्यवस्था करनी चाहिए। साथ ही आयुष्मान योजना में भी इस सेवा को शामिल करना चाहिए। जिससे हर वर्ग के लोगों को सुविधा मिल सके।
-अनूप नौटियाल, अध्यक्ष सोशल डवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन
दुर्गम क्षेत्रों में जिस तरह की स्वास्थ्य सेवाएं हैं और आपदा की घटनाएं होती है। उसे देखते हुए प्रदेश में एयर एंबुलेंस सेवा बेहद जरूरी है। डबल इंजन की सरकार में उत्तराखंड को एयर एंबुुलेंस की सुविधा न मिलना इस बात को साबित करता है कि केंद्र व राज्य की सरकार स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति गंभीर नहीं है। केंद्र की ओर से एयर एंबुलेंस के प्रस्ताव को मंजूरी न मिलने से सरकार की कमजोर पैरवी है।
-दिनेश मोहनिया, प्रदेश प्रभारी आप
पहाड़ों में होने वाली सड़क दुर्घटनाएं, आपदा या किसी गंभीर मरीजों को इमरजेंसी में हायर सेंटर पहुंचाने के लिए उत्तराखंड को एयर एंबुलेंस की जरूरत है। सड़क मार्ग से मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में ज्यादा समय लगने के साथ काफी दिक्कतें आती है। आपात स्थिति में एयर एंबुलेंस सेवा की जरूरत होती है।
-डा. अमिता उप्रेती, पूर्व स्वास्थ्य महानिदेश
जान पर भारी दूरस्थ इलाकों की दुश्वारी
तमाम दूरस्थ गांव ऐसे हैं कि जहां से सड़क तक की दूरी ही 30 से 50 किलोमीटर तक है। हाल ही में मुनस्यारी के एक गांव से बुजुर्ग को पैदल अस्पताल पहुंचाने में 42 किलोमीटर की दूरी का सफर तय करने में तीन दिन लग गए थे। ऐसे में इन दूरस्थ क्षेत्रों में एयर एंबुलेंस की जरूरत काफी समय से महसूस की जाती रही है। पिछली बार ही पिथौरागढ़ में हुई आपदा के दौरान प्रभावितों की मदद के लिए कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने हेलीकॉप्टर भेजने की गुहार तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से लगाई थी।
दूरस्थ इलाके के लिए एयर एंबुलेंस की सुविधा होनी चाहिए। इस मामले में मुख्यमंत्री से बात की जाएगी। फिर से केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने का अनुरोध किया जाएगा।
– बलवंत सिंह भौर्याल, भाजपा विधायक कपकोट
एयर एंबुलेंस सेवा सीमांत के लिए बेहद जरूरी थी। मुख्यमंत्री से बात करके सीमांत के लिए राज्य स्तर पर एयर एंबुलेंस संचालन के लिए प्रयास किए जाएंगे।
– चंद्रा पंत, विधायक, पिथौरागढ
केंद्र सरकार ने एयर एंबुलेंस का प्रस्ताव ठुकराकर सीमांत जिले के लोगों की अनदेखी की है। विषम परिस्थितियों में जीवन जीने वाले सीमा क्षेत्र के लोगों के लिए ये गहरा आघात है।
– हरीश धामी, कांग्रेस विधायक धारचूला