प्रमोशन में आरक्षण के समर्थन और विरोध को लेकर छिड़ी जंग, सामाजिक संघंर्ष में तब्दील होने का खतरा

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देहरादून। उत्तराखंड के करीब साढ़े तीन लाख कर्मचारियों के रिश्तों में ‘आरक्षण’ ने खटास पैदा कर दी है। चिंता की बात यह है कि प्रमोशन में आरक्षण के समर्थन और विरोध को लेकर छिड़ी इस जंग के सामाजिक संघर्ष में तब्दील होने का खतरा पैदा हो गया है।

दोनों ओर के कर्मचारी अपने-अपने मोर्चों पर अभी तक प्रमोशन और नौकरी के मुद्दे पर आवाज उठा रहे थे। लेकिन अब इस लड़ाई को सामाजिक संघर्ष का जामा पहनाने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। नतीजा यह है कि सचिवालय से लेकर ब्लाक और तहसील तक साथ उठने बैठने वाले कर्मचारी अब फासला बनाकर चल रहे हैं।

उत्तराखंड सचिवालय में स्थिति ज्यादा असहज करने वाली है। यहां सचिवालय संघ एससी व एसटी वर्ग के 20 कर्मचारियों की सदस्यता समाप्त करने की तैयारी में है। संघ ने यह प्रस्ताव तैयार कर लिया है। आम सभा में इस पर अंतिम निर्णय होगा। एससी एसटी कर्मचारियों पर आरोप है कि उन्होंने जाति के नाम पर सचिवालय में संघ का गठन किया।

सचिवालय संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी कहते हैं, ‘सचिवालय में किसी जाति, धर्म या संप्रदाय के नाम पर संगठन बनाना नियम विरूद्ध है और सचिवालय संघ को तोड़ने और कमजोर करने का प्रयास है।’ लेकिन एससी एसटी इंप्लाइज फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष करम राम संघ के इस कदम से असहमत हैं।

करम राम कहते हैं, ‘सचिवालय में नियुक्ति पाने के बाद कर्मचारी स्वतः स्फूर्त सचिवालय संघ का सदस्य हो जाता है। ऐसे में उसकी सदस्यता खत्म करने की बात समझ से बाहर है।’

संयुक्त सचिव चंद्र बहादुर जो 20 कर्मचारियों में शामिल हैं, कहते हैं, ‘उत्तराखंड सचिवालय संघ ने उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के आंदोलन का समर्थन करना संघ के संविधान का उल्लंघन नहीं है।

जबकि संघ के संविधान की धारा तीन में स्पष्ट है कि वह सभी कर्मचारियों में समन्वय और सामंजस्य बनाकर चलेगा। क्या सचिवालय संघ किसी वर्ग विशेष की मांग को लेकर अपना समर्थन दे सकता है।’ ऐसा अंदेशा है कि यह लड़ाई सचिवालय तक सीमित नहीं रहेगी। इसके जिला, ब्लाक और तहसील स्तर के दफ्तरों तक पहुंचने का खतरा है।

इतना ही नहीं कर्मचारी मसलों की ये लड़ाई अब प्रमोशन और नौकरी में आरक्षण के विरोध से आगे एक सामाजिक संघर्ष तब्दील होती दिख रही है। उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने आंदोलन में सामाजिक संगठनों का समर्थन मांगा है। इससे पहले एससी एसटी इंप्लाइज फेडरेशन की महारैली में दोनों वर्गों से जुड़े सामाजिक संगठन शिरकत कर चुके हैं।

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