देहरादून। आजादी के 73 साल बाद भी जौनपुर विकासखंड के खरक और मेलगढ गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई है। वैसे तो सुमनक्यारी-बणगांव-सुरांसू-खरकगांव तक 12 किमी लंबी सड़क बनाने के लिए वित्तीय स्वीकृति 17 वर्ष पहले ही मिल गई थी। लेकिन, 10 किमी सड़क बनाने के बाद काम बंद कर दिया गया। बाकी के दो किमी हिस्से में सड़क बनाया जाना अभी भी बाकी है। स्थानीय निवासी इसको लेकर कई बार अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन खरक गांव तक सड़क नहीं पहुंची।
वर्ष 2003 में सुमनक्यारी से खरक गांव तक 12 किमी लंबी सड़क के निर्माण का जिम्मा लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) थत्यूड़ डिविजन को दिया गया था। 2004 में इस सड़क का निर्माण शुरू हुआ। सुरांसू गांव तक 10 किमी सड़क वर्ष 2007 में बनकर तैयार हो गई। इसके बाद अचानक काम रोक दिया गया। खरक और सुरांसू गांव के बीच सड़क की एक जॉब की कटिंग होने के बावजूद बीते 13 साल में इस सड़क का निर्माण पूरा नहीं किया गया। इसकी वजह जानने और खरक तक सड़क पहुंचाने के लिए ग्रामीणों ने कई बार लोनिवि के अधिकारियों के दफ्तर के चक्कर काटे, मगर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
खरक गांव के श्याम सिंह रावत, शूरवीर सिंह तोमर, दीवान सिंह रावत, कुंवर सिंह रावत, बिरेंद्र सिंह रावत, नरेंद्र सिंह रावत, सुरेश रावत, सुनील रावत, ज्ञानदास, सोबनी लाल, मनोज वर्मा आदि का कहना है कि गांव तक सड़क नहीं होने से काश्तकारों की फसल समय पर बाजार नहीं पहुंच पाती है। सड़क न होने से कई बार मरीजों की भी जान पर बन आती है। उधर, लोनिवि के अधिशासी अभियंता थत्यूड़ डिविजन रजनीश सैनी का कहना है कि उन्होंने सुरांसू से खरक तक दो किमी सड़क निर्माण के लिए दोबारा एस्टीमेट बनाकर शासन को भेजा है।
जिलाधिकारी का आदेश भी नहीं माना
खरक गांव के ही सूरत सिंह खरकाई ने बताया कि वर्ष 2018 में टिहरी की तत्कालीन जिलाधिकारी ने कैंपटी में चैपाल कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस दौरान जिलाधिकारी से मुलाकात कर सड़क का निर्माण पूरा कराने की गुहार लगाई गई थी। इसपर जिलाधिकारी ने लोनिवि थत्यूड़ डिविजन को इस संबंध में तत्काल कार्यवाही के लिए आदेशित किया। बावजूद इसके मामले में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया। अगस्त 2020 में जिला पंचायत सदस्य कविता रौंछेला ने भी इस बाबत जिलाधिकारी टिहरी मंगलेश घिल्डियाल को आवेदन पत्र दिया था। जिलाधिकारी घिल्डियाल ने भी लोनिवि थत्यूड़ को तत्काल कार्यवाही का आदेश दिया, लेकिन हालात जस के तस हैं।