उत्तराखंड में प्रेशर हॉर्न पर पूरी तरह से प्रतिबंध होगा। वहीं, विभिन्न क्षेत्रों को शांत और आवासीय क्षेत्र घोषित करते हुए लाउडस्पीकर के लिए मानक तय कर दिए गए हैं। जिसमें ध्वनि प्रदूषण पर एक हजार से 40 हजार रुपये तक जुर्माना वसूला जाएगा। कैबिनेट की बैठक में इसके प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।बैठक में कहा गया कि केंद्र सरकार की ओर से पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 बनाया गया है। जिसके तहत ध्वनि के संबंध में विभिन्न क्षेत्र जैसे शांत क्षेत्र, आवासीय क्षेत्र, वाणिज्यिक क्षेत्र, औद्योगिक में दिन और रात में ध्वनि के मानक तय किए गए हैं। इसके उल्लंघन के संबंध में संबंधित नियमों के तहत प्राधिकारी बनाए जाने की व्यवस्था की गई है, लेकिन प्रदेश में न तो शांत, आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्र अधिसूचित नहीं हैं। न ही उल्लंघन पर प्राधिकारियों को अलग से अधिसूचित किया गया है।
बैठक में कहा गया कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय, जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और 50 एवं इससे अधिक बिस्तर के हेल्थ केयर फैसिलिटी वाले संस्थान का कम से कम सौ मीटर का क्षेत्र शांत क्षेत्र होगा। इसके अलावा शैक्षिक संस्थान के परिसर का कम से कम सौ मीटर क्षेत्र, संरक्षित वन क्षेत्र व सरकार द्वारा भारतीय वन अधिनियम 1927 के तहत अधिसूचित कोई अन्य वन क्षेत्र शांत क्षेत्र होगा।