बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर

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कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की पहली बैठक में रणनीति पर मंथन किया गया। टास्क फोर्स के अध्यक्ष हेमवंती नंदन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हेम चंद्रा ने कहा कि बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए सबसे पहले मास सप्टीमेंटेशन (शुरुआती स्तर पर पूरक उपचार) को आरंभ करना होगा। जिसमें बच्चों को जिंक, विटामिन-डी की खुराक देने के लिए मानक प्रचलन विधि (एसओपी) तैयार कर रणनीति के अनुसार कार्य करना होगा। बच्चों को संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने की जरूरत है।कुलपति प्रो. हेम चंद्रा ने सभी निजी डॉक्टरों व बाल रोग विशेषज्ञों से आग्रह किया कि बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए मिलकर रणनीति बनाने में सहयोग करें। एसओपी बनाने में आईसीएमआर, विश्व स्वास्थ्य संगठन व अन्य स्वास्थ्य संस्थाओं से भी सुझाव प्राप्त किए जाएंगे।

बैठक में तीसरी लहर से निपटने के लिए पब्लिक हेल्थ रिस्पांस कार्य योजना बनाने, बच्चों के लिए आईसीयू बेड, ऑक्सीजन बेड, आइसोलेशन बेड, वेंटीलेटर की जरूरतों पर चर्चा की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में कार्यरत हेल्थ प्रोवाइडर्स व मेडिकल अधिकारियों को बच्चों की देखभाल व उपचार का प्रशिक्षण दिया जाए।

प्रदेश में 9 वर्ष तक के 23.56 लाख से ज्यादा बच्चे 
टास्क फोर्स की सदस्य सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक डॉ. सरोज नैथानी ने बताया कि उत्तराखंड में जन्म से 9 वर्ष आयु वर्ग के 23.56 लाख से ज्यादा बच्चे हैं। जबकि 10 से 19 आयु वर्ग में 26.96 बच्चे हैं। दिसंबर 2020 व 2021 के दौरान कोविड संक्रमण से ग्रसित बच्चों की संख्या 10 से 17 वर्ष में देखी गई। जो लगभग 25 प्रतिशत है।

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