देहरादून। उत्तराखंड की जेलों में क्लोज सर्किट कैमरों और उच्च तकनीक युक्त जैमर लगाने का कार्य बजट के अभाव में लंबित चल रहा है। अभी केवल चार प्रमुख जेलों में ही कैमरे लग पाए हैं। शेष जेलों में बजट के अभाव में कैमरे लगाने का कार्य नहीं हो पा रहा है। जेल प्रशासन की ओर से इस संबंध में सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।
प्रदेश की जेलों में सुरक्षा को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। जेलों में बंद कुख्यात अपराधियों पर रंगदारी से लेकर लूट, हत्या, डकैती जैसी आपराधिक योजनाओं को यहीं से अंजाम देने के आरोप लगते रहे हैं। हरिद्वार व पौड़ी जेल से रंगदारी मांगने के मामले भी सामने आ चुके हैं। इसे देखते हुए जेलों की सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। इस क्रम में शुरुआत में प्रदेश की सभी 11 जेलों में तैनात बंदी रक्षकों को बाडी वार्न कैमरों से लैस करने की बात तो हुई, लेकिन इस पर भी पूरा काम नहीं हो पाया है।
इसके तहत हर बंदी रक्षक की वर्दी पर कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो जेल के भीतर की छोटी से छोटी हरकत को कैद कर सकेंगे। यह कवायद अभी हरिद्वार व देहरादून की जेलों तक ही सिमटी हुई है। सभी जेलों में सीसी कैमरे तो हैं लेकिन हाई क्वालिटी कैमरे कुछ ही जेलों में लग पाए हैं। शेष जेलों में कैमरे स्थान विशेष तक ही सीमित हैं। ये पुराने भी हो गए हैं। जेलों में जैमर तो लगाए गए हैं लेकिन फोर जी सिम के सिग्नल रोकने में ये नाकाम है।
तमाम प्रयासों के बावजूद बजट के अभाव में इस दिशा में भी काम नहीं हो पा रहा है। इस संबंध में कुछ समय पहले जेल प्रशासन की ओर से कैमरों व जैमर के लिए बजट स्वीकृत करने का अनुरोध करते हुए पत्रावली शासन को भेजी गई थी। इस पर शासन ने बजट की कमी का हवाला देते हुए पत्रावली लौटा दी है। कहा गया है कि आगामी वित्तीय वर्ष के बजट में इसके लिए व्यवस्था की जाएगी।