बलूनी का प्रयास, मुख्यमंत्री की हरी झंडी, फिर भी लटक गया सिंगटाली पुल का निर्माण

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भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी के प्रयास और मुख्यमंत्री के निर्णय के बाद भी सिंगटाली पुल अधर में लटक गया है। सरकार के फैसला लेने के बाद लंबे समय से पुल की मांग कर रहे ग्रामीणों में खुशी का माहौल था, लेकिन पुल का कार्य शुरू न होने से उनमें जबरदस्त गुस्सा है। लोक निर्माण विभाग ने पुल का आंगणक (इस्टीमेट) बनाकर शासन को भेज दिया है लेकिन शासन से अभी तक प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिल सकी है।

गढ़वाल और कुमाऊं को जोड़ने के लिए सिंगटाली में प्रस्तावित मोटर पुल का काम शुरू न होने पर स्थानीय ग्रामीणों ने आंदोलन का एलान किया है। करीब 15 ग्रामसभा के प्रधानों ने ढांगू विकास समिति को समर्थन दिया है।  ढांगू विकास समिति के अध्यक्ष उदय सिंह नेगी ने बताया कि वर्ष 2006 में शासन की ओर से सिंगटाली में मोटरपुल की स्वीकृति दी गई थी। वर्ष 2017 में लोनिवि श्रीनगर की ओर से इस मोटरपुल के निर्माण का काम शुरू किया गया था। लोनिवि ने साइट पर मिट्टी की टेस्टिंग के साथ ही अप्रोच रोड का सर्वे कर दिया था।

मोटरपुल के निर्माण के लिए विश्व बैंक से 17 करोड़ रुपये भी स्वीकृत हुए थे। सितंबर 2019 में एक एनजीओ के कहने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री की ओर से इस पुल का स्थान बदलने का आदेश दिया गया था। 15 जनवरी 2020 को शासन की ओर से मोटरपुल का स्थान बदलने का शासनादेश हुआ था, जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध किया था। स्थानीय लोगों ने राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से भी यह मामला उठाया। बलूनी ने तत्कालीन मुख्य सचिव से पुल के प्रस्ताव की रिपोर्ट मांगी थी।

तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने गत 18 मई को पुराने चयनित स्थल पर ही मोटर पुल बनाने का आदेश दिया था।  इसका शासनादेश भी जारी किया गया था। लोनिवि श्रीनगर ने मोटर पुल के दोनों और अप्रोच रोड का सर्वे भी किया, लेकिन सरकार की ओर से मोटरपुल के निर्माण के लिए धन आवंटन न होने से अभी तक मोटर पुल का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है।

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