बागियों को निकालने से हिचक रही भाजपा, मनाने के लिए पार्टी नेताओं को झोंका

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देहरादून। पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत को पार्टी से बाहर निकालने में भाजपा ने बेशक कोई हिचक न दिखाई हो, लेकिन विधानसभा चुनाव में बगावत करने वालों पर फौरन कार्रवाई करने से पार्टी परहेज कर रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का कहना है कि सभी बागियों से बातचीत हो रही है। कार्रवाई के सवाल पर उन्होंने कहा कि सबको मालूम है कि हमारे यहां कोई रियायत नहीं है।

एक दर्जन विधानसभा सीटों पर बगावत का खतरा
विधानसभा चुनाव में नामांकन वापसी से पहले भाजपा चार सीटों पर छह बागियों को मनाने में कामयाब हो गई थी। अब भी वह एक दर्जन विधानसभा सीटों पर बगावत के खतरे में है। डोईवाला विस में जितेंद्र नेगी, धनोल्टी में पूर्व विधायक महावीर सिंह रांगड, देहरादून कैंट में दिनेश रावत, धर्मपुर विधानसभा में वीर सिंह पंवार, कर्णप्रयाग में टीका प्रसाद मैखुरी, कोटद्वार में धीरेंद्र सिंह चौहान, भीमताल में मनोज शाह, घनसाली में दर्शन लाल आर्य, यमुनोत्री में मनोज कोली, रुद्रपुर में राजकुमार ठुकराल, चकराता में कमलेश भट्ट और किच्छा में अजय तिवारी अब तक मैदान से नहीं हटे हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ने पर अड़े हैं। पार्टी नेतृत्व ने हिम्मत नहीं छोड़ी है।

पूर्व मुख्यमंत्री और सांसदों समेत पार्टी के वरिष्ठ नेता बगावत कर निर्दलीय मैदान में उतरे प्रत्याशियों से संवाद साधने की कोशिश कर रहे हैं। अभी तक उन्हें कोई सफलता प्राप्त नहीं हो पाई है। हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कौशिक कुछ आश्वस्त नजर आ रहे हैं। उनसे जब पूछा गया कि कांग्रेस ने अपने सभी बागियों को निष्कासित कर दिया है, भाजपा ने बागियों को बाहर करने से क्यों डर रही है? कौशिक ने कहा कि अभी उनसे बातचीत जारी है।

पार्टी को भरोसा है कि वे मान जाएंगे। जब जरूरी होगा तो अनुशासन के तहत कार्रवाई भी करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने बेशक अबकी बार साठ पार का नारा दिया है, लेकिन चुनाव में वह एक-एक सीट के लिए बिसात बिछा रही है। एक दर्जन सीटों पर बगावत से वह कुछ असहज है और आखिर तक उसकी कोशिश बागियों को मनाने की है।

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