उत्तराखंड में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के प्रदेश अध्यक्ष डा. अरविंद शर्मा ने बताया कि आईएमए ने बाबा रामदेव की खुली बहस की चुनौती को स्वीकार कर उनकी ओर से उठाए गए सवालों पर बहस के लिए डॉक्टरों का एक पैनल गठित कर दिया है।बाबा रामदेव ने आईएमए से 25 सवाल पूछे थे, जिसके बाद ही एलोपैथी विवाद शुरू हुआ था। डा. अरविंद शर्मा ने कहा है कि उनकी लड़ाई योग और आयुर्वेद से नहीं अपितु एक अहंकारी व्यापारी से है, जो अपनी दवा बेचने की लालसा में इस विवाद को राष्ट्रवाद का रूप देकर लड़ाई को आयुर्वेद बनाम एलोपैथी बनाने के प्रयास में है। कहा कि बाबा रामदेव के खिलाफ कार्रवाई न हुई तो आईएमए आंदोलन के लिए बाध्य होगी।
मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर कर रहे निजी अस्पताल- रामदेव
योग गुरु बाबा रामदेव ने फार्मा कंपनियों के बाद अब निजी अस्पतालों के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश के नामचीन अस्पतालों ने कोरोना के इलाज के नाम पर लूट मचाई है। इलाज के लिए कभी इंजेक्शन तो कभी स्टेरॉयड देकर मरीजों की इम्यूनिटी कमजोर कर रहे हैं। जिससे मरीज ब्लैक और व्हाइट फंगस की चपेट में आकर मर रहे हैं। पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण आचार्य ने कहा कि आयुर्वेद एक संपूर्ण चिकित्सा पद्धति है। भारत में प्राचीनकाल से आयुर्वेद के माध्यम से इलाज होता आ रहा है। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन के बाद एलोपैथी का प्रवेश जबरन थोपा गया।
अंग्रेजों से पहले भारत में आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से ही राजा-महाराजा और बादशाहों का इलाज किया जाता था। हमारे ऋषियों ने गहन शोध के आधार पर आयुर्वेद को विकसित किया।
इस पद्धति के साथ योग और प्राणायाम को जोड़ने का काम स्वामी रामदेव के नेतृत्व में पतंजलि योगपीठ में किया जा रहा है। आचार्य ने कहा देश के अनेक डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने पतंजलि अनुसंधान केंद्र आकर हमारा काम देखा। आईएमए यदि सबकुछ नकारना चाहेगी तो यह देश उसे स्वीकार नहीं करेगा।