बेकार प्लास्टिक का ढेर बनेगा नगर निगम की कमाई का जरिया, प्लास्टिक गलाकर डामर सड़कों में किया जाएगा इस्तेमाल

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देहरादून। पर्यावरण के लिए चिंता के सबब कूड़े में पड़े हुए बेकार प्लास्टिक का ढेर अब नगर निगम की कमाई का जरिया बनेगा। इसके लिए निगम की ओर से तीन मशीनें क्रय की गई हैं। जिसका संचालन भी शुरू कर दिया गया है। जिसमें कूड़े के ढेर से प्लास्टिक को निकालकर क्रश कर दिया जाएगा। सड़क बनाने वाली कंपनियों को बेंच कर निगम मुनाफा कमाएगा। जिसमें पांच से छह हजार रुपये रोज की कमाई की जा सकती है।

धरती पर प्लास्टिक के बढ़ते बोझ से पर्यावरणविद् परेशान हैं। तमाम प्रतिबंधों के बाद भी प्लास्टिक निर्माण और बिक्री को रोकना मुश्किल हो गया है। ऐसे में अब इस बेकार प्लास्टिक से सड़क निर्माण का कार्य बेहतर होगा। वहीं नगर निगम की कमाई का यह बेहतर जरिया भी बन रहा है। नगर निगम के स्वच्छता निरीक्षक अमित नेगी ने बताया कि प्लास्टिक की चिंता से मुक्ति के लिए यह योजना फायदे की साबित होगी।

नगर निगम ने कांम्पेक्टर, क्लीनर और क्रशर मशीन क्रय की है। जिसमें कांम्पेक्टर मशीन का संचालन मंगलवार को शुरू कर दिया गया है। इससे कूड़े के ढेर में से प्लास्टिक को निकाल कर उपयोगी बनाया जा रहा है। रुद्रपुर की मेयर रामपाल सिंह ने बताया कि कांम्पेक्टर व क्रशर मशीन के जरिए नगर निगम की आय बढ़ेगी। इसी के साथ पर्यावरण की सबसे बड़ी चिंता बने प्लास्टिक का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा। जिसके लिए ट्रॉमल मशीन व अन्य उपाय भी किए जा रहे हैं।

बना रहे 50 किग्रा का बंडल

रोज घरों से निकलने वाले कूड़े में से प्लास्टिक को अलग किया जा रहा है। इसी तरह कूड़े के पहाड़ से भी प्लास्टिक की पन्नियों व बोतल को ट्रॉमल मशीन के जरिए छांट दिया जा रहा है। प्रोजेक्ट इंचार्ज आशीष मित्तल ने बताया कि छंटाई के बाद कर्मचारियों की मदद से 50-50 किलोग्राम के बंडल बनाए जा रहे हैं। जिसे कांम्पेक्टर मशीन के जरिए प्रेस किया जा रहा है। जिसके बाद प्लास्टिक दबकर एक तिहाई छोटा हो जा रहा है। क्लीनर मशीन में डालकर इसे साफ किया जाता है। जिससे मिट्टी व अन्य गंदगी अलग हो जाती है। इसके बाद क्रशर मशीन में डालकर प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े बनाए जाते हैं। जो कि बेंचने के लिए तैयार हो जाता है।

10 लाख का आया खर्च

क्रशर मशीन लगाने में करीब नौ लाख रुपये का खर्च किया गया है। जिसमें निगम की ओर से साढ़े छह लाख में कांम्पेक्टर मशीन, करीब सवा लाख की क्रशर मशीन व एक लाख की क्लीनर मशीन क्रय की गई है। अन्य खर्च मिलाकर करीब 10 लाख रुपये इसमें लगाया गया है।

पांच हजार रोज की कमाई

डामर सड़कों में प्लास्टिक का प्रयोग आठ फीसदी किया जाता है। क्रशर मशीन में पिसने के बाद प्लास्टिक को सड़क ठेकेदार को बेच दिया जाएगा। जिसमें अच्छी गुणवत्ता पर इसे 25 रुपये प्रति किलोग्राम व खराब गुणवत्ता पर 12 रुपये में बेचा जाएगा। इस तरह औसत रेट 15 रुपये प्रति किलोग्राम तक मिलना तय है। जिसमें प्रतिदिन करीब 10 क्विंटल प्लास्टिक क्रश तैयार हो जाएगा। जिसमें मैन पॉवर, प्रोसेसिंग आदि खर्च निकालने के बाद करीब पांच से छह हजार रुपये रोज की कमाई होनी है। जो कि निगम की आय का सबसे अच्छा स्रोत हो सकता है।

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