ब्याज की डायरी ने खोला वृद्धा की हत्या का राज, वृंदावन फरार हुई आरोपी युवती, हिरासत में साथी

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घर से मिली ब्याज की डायरी ने वृद्धा की हत्या का पर्दाफाश कर दिया। उनसे रुपये लेने वाली एक युवती ने पैसे के लेनदेन में अपने दोस्त से हत्या कराई थी। बताया जाता है कि वृद्धा पैसे वापसी का दबाव बना रही थीं। युवती ने अपने दोस्त से इसका जिक्र किया तो वह बात करने चला गया। वहां विवाद हुआ और उसने सब्जी काटने वाले चाकू से वृद्धा का गला रेत दिया।

सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने हत्यारोपी युवक को तो हिरासत में ले लिया है मगर युवती वृंदावन भाग गई है। पुलिस उसे लाने रवाना हो गई है। पुलिस का घटना का अधिकारिक रूप से खुलासा कर सकती है। बता दें कि मंजीत हत्याकांड में आसपास के सीसीटीवी कैमरों से भी कोई मदद नहीं मिली।

इस बीच पता चला कि मंजीत कौर ब्याज पर पैसे देती थीं। इसके लिए उन्होंने खुद की फर्म भी रजिस्टर्ड कराई थी। घर में एक डायरी रखी हुई थी। इसमें उन सबके नाम लिखे थे जिन्हें उन्होंने पैसे दिए थे। सबसे पुलिस ने पूछताछ की लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। इसी बीच पता चला कि एक लड़की से संपर्क नहीं हो पा रहा है।

वह अपने घर पर भी नहीं थी। उसके मोबाइल का कॉल रिकॉर्ड खंगाला गया। पता चला कि वह एक युवक से बार-बार बात करती थी। हत्या के दिन और उसके बाद भी कई बार दोनों की बात हुई थी। पुलिस ने युवक को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने सारी कहानी पुलिस को बता दी।

बताया कि उसकी दोस्त ने मंजीत से पैसे ब्याज पर लिए थे। लेकिन, लौटा नहीं रही थी। इसके लिए मंजीत उस पर दबाव बना रही थीं। यह सारी बातें जब उसने युवक से बता दी। युवक उस दिन बात करने के लिए मंजीत के घर गया था। इस दौरान दोनों में विवाद हो गया। मंजीत ड्राइंग रूम में चाकू से सब्जी काट रही थी।

युवक ने वहीं आकर चाकू से उनका गला रेत दिया। उधर, हत्या के बाद युवती वृंदावन भाग गई। सूत्रों ने बताया कि पुलिस ने युवक को हिरासत में ले लिया और युवती को वृंदावन से लेने गई है। हालांकि, इस बारे में पुलिस अधिकारी कोई अधिकृत जानकारी नहीं दे रहे हैं।

यह था पूरा मामला

12 अप्रैल को प्रेमनगर निवासी मंजीत कौर (78) का शव उनके ड्राइंग रूम में मिला था। उनकी गला रेतकर हत्या की गई थी। इसका पता उस वक्त लगा, जब उनकी छोटी बेटी ने फरीदाबाद से पड़ोसी को फोन किया। पड़ोसी ने घर आकर देखा तो उनके होश उड़ गए। पुलिस ने देखा कि घर में सारा सामान जस का जस था। ऐसे में यह बात साफ हो गई कि मामला लूट का नहीं है। ऐसे में पुलिस ने अपनी जांच को दूसरी तरफ मोड़ दिया था।

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