देहरादून । रक्तदान को बढ़ावा देने को सरकार तमाम दावे करती है, लेकिन दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्थिति अलग है। यहां पर ब्लड बैंक में तैनात पांच संविदा डाक्टरों का अनुबंध सितंबर माह में खत्म हो गया था, लेकिन एक माह बाद भी यहां पर डॉक्टरों की तैनाती नहीं हो सकी है।
इस वजह से ब्लड बैंक में जहां 20 यूनिट तक रक्तदान होता था, वह अब घटकर 8 से 10 यूनिट ही रह गया है। वहीं अन्य कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग से रिटायर डाक्टर डा. एमएस नेगी, डा. डीसी ध्यानी, डा. बीएस पाल, डा. टीआर जोशी और डा. वीके भट्ट को तीन साल पहले यहां ब्लड बैंक में तीन साल पहले रखा गया था।
डा. बीएस पाल का कुछ दिन पहले देहांत हो गया, वहीं चारों अन्य डाक्टर भी सितंबर में संविदा खत्म होने के चलते यहां से चले गये। मेडिकल कॉलेज से तीन डाक्टरों को अटैचमेंट पर लगाया भी गया, लेकिन स्थिति जस की तस बनी है। डाक्टरों का अधिकांश काम टेक्नीशियनों को ही करना पड़ता है। डाक्टरों की कमी से जहां रक्तदान का ग्राफ घट रहा है, वहीं क्रास मैच और स्क्रीनिंग का काम भी टेक्नीशियन ही करते हैं। रात में तो काम ठप है। उधर, एमएस डा. केके टम्टा का कहना है कि डाक्टरों की कमी से दिक्कत तो हैं, डाक्टरों की भर्ती के लिए प्राचार्य को लिखा गया है। प्राचार्य को ही डाक्टरों की भर्ती का अधिकार है।