नैनीताल : हाई कोर्ट ने हरिद्वार में पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका को सुनने के बाद सरकार के जवाब से संतुष्ट होकर याचिका को निस्तारित कर दिया। कोर्ट के आदेश से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक को बड़ी राहत मिली है।
सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से शपथपत्र पेस कर कहा कि सभी पुस्तकालयों को नगर निगम को दे दिए है। नगर निगम इनका संचालन कर रहा है इसलिए जनहित याचिका का अब कोई औचित्य नही रह गया है। शपथपत्र के आधार पर कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दी।
बुधवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा है कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक की विधायक निधि से करीब डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए धनराशि आवंटित की गई।
पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट कर दी गई। लेकिन धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया। विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिला अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया ।
याचिकाकर्ता का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया और विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट की गई, लिहाजा पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए।